नई दिल्ली। रिलायंस जियो ने भारत के ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों को अपने 4जी एलटीई-आधारित वॉइस और डाटा सर्विस से जोड़ने के लिए सेटेलाइट का उपयोग करने की योजना बनाई है। कंपनी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) और ह्यूग्स कम्युनिकेशंस (एचसीआईएल) की टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए अपनी तरह के पहले सेटेलाइट बैकहॉल-बेस्ड नेटवर्क को लागू करने जा रही है।
मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस जियो 400 से अधिक एलटीई साइट को इस सैटेलाइट बैकहॉल-बेस्ड नेटवर्क के जरिये जोड़ने जा रही है, जो अभी टेरेस्ट्रियल बैकहॉल सर्विस की पहुंच से बाहर हैं। यह नेटवर्क चालू होने के विभिन्न चरणों में है। जियो ने इन इलाकों में 4जी नेटवर्क के लिए सैटेलाइट बैकहॉल स्थापित करने के लिए ह्यूग्स कम्युनिकेशंस को एक करोड़ डॉलर का ठेका दिया है।
भारत में, अधिकांश टेलीकॉम कंपनियां, जियो सहित, टॉवर्स को जोड़ने के लिए माइक्रोवेव का इस्तेमाल करती हैं क्योंकि फाइबर लाइन को बिछाना बहुम महंगा है। ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में, विशेषकर पहाड़ी और समुद्री इलाकों में, ऊचांई, ऊबड़खाबड़ इलाकों और बहुत अधिक निवेश की वजह से यह और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
जियो के ग्रुप प्रेसिडेंट ज्योतींद्र ठाकरे ने कहा कि उनकी कंपनी अपने 4जी साइट्स को समर्थन देने के लिए ह्यूग्स के ज्यूपीटर सिस्टम का उपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि सैटेलाइट सिस्टम देश के हर हिस्से में सर्वव्यापी और निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करने के हमारे लक्ष्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण है। ह्यूग्स कम्युनिकेशंस इंडिया के प्रेसिडेंट पार्थो बनर्जी ने कहा कि दूर-दराज और ग्रामीण इलाकों में 4जी/एलटीई सर्विस के विस्तार के लिए सैटेलाइट एक आदर्श टेक्नोलॉजी है।
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