Jio ने TRAI पर हमला बोलते हुए तोड़ी अपनी चुप्पी, IUC चार्ज लगाने से किसको होगा फायदा किया खुलासा
रिलायंस जियो ने ट्राई को लिखे 14 पन्नों के खत में कहा है कि आईयूसी की समीक्षा करने का ट्राई का प्रस्ताव प्रतिगामी है।
नई दिल्ली। इंटरकनेक्शन उपयोग शुल्क (आईयूसी) को जनवरी, 2020 से समाप्त करने के अपने फैसले से अचानक पलटने पर मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो ने टेलीकॉम नियामक ट्राई पर हमला बोला है। रिलायंस जियो ने कहा कि ट्राई का यह कदम प्रतिगामी है और यह एयरटेल व वोडाफो-आइडिया जैसे पुराने ऑपरेटर्स को लाभ पहुंचाने वाला है। रिलायंस जियो ने कहा कि आईयूसी कुशल व नई टेक्नोलॉजी का उपयोग करने वाले ऑपरेटर को दंडित कर रहा है और उपभोक्ताओं के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है।
ट्राई द्वारा इंटरकनेक्शन उपयोग शुल्क को जनवरी 2020 के बाद भी जारी रखने के लिए जारी परिचर्चा पत्र ने इसके जल्द समाप्त होने की संभावना को कमजोर किया है, जिसकी वजह से जियो को मजबूरी में अपने उपभोक्ताओं द्वारा अन्य नेटवर्क पर किए जाने वाले वॉयस कॉल पर 6 पैसे प्रति मिनट का शुल्क लगाने का फैसला लेना पड़ा है।
रिलायंस जियो ने ट्राई को लिखे 14 पन्नों के खत में कहा है कि आईयूसी की समीक्षा करने का ट्राई का प्रस्ताव प्रतिगामी है। इस संबंध में ट्राई द्वारा जारी परिचर्चा पत्र न तो स्वस्थ है और न ही इसकी कोई जरूरत थी। इससे उपभोक्ताओं और कुशलता के साथ काम करने वाली कंपनियों को नुकसान होगा और इसका फायदा अकुशल कंपनियों को मिलेगा।
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नियमानुसार अभी दूरसंचार कंपनियों को अपने नेटवर्क से बाहर जाने वाली कॉल के दूसरे नेटवर्क पर जुड़ने के लिए एक शुल्क देना होता है। इसे इंटरकनेक्ट उपयोग शुल्क कहते हैं। वर्तमान में इसकी दर 6 पैसे प्रति मिनट है।
रिलायंस जियो ने अपने पत्र में कहा है कि अंतर-सेवाप्रदता समाप्ति शुल्क को खत्म करने वाले निर्णय में किसी भी तरह के बदलाव का फायदा ऐसे चूक करने वालों को मिलेगा, जो नई और प्रभावी टेक्नोलॉजी को अपनाने से जानबूझकर बचते हैं।
जियो ने कहा कि आईयूसी को आगे कुछ समय तक और जारी रखने के बारे में ट्राई का यह परिचर्चा पत्र ऐसे दूरसंचार सेवाप्रदाताओं को योजनागत ढंग से प्रोत्साहन और सब्सिडी देने जैसा है, जो इंटरनेट प्रोटोकॉल आधारित टेक्नोलॉजी पर शिफ्ट नहीं होना चाहते हैं। जियो ने ट्राई के अधिकारक्षेत्र पर सवाल खड़े किए हैं। जियो ने कहा कि आईसीयू दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों के लिए कमाई का एक जरिया बन गया है। जियो ने बताया कि उसने अभी तक अन्य टेलीकॉम कंपनियों को 13,500 करोड़ रुपए का भुगतान आईसीयू के तौर पर किया है।
जियो ने कहा कि यदि ट्राई जनवरी, 2020 से आईसीयू शुल्क को समाप्त करने के अपने फैसले पर टिका रहता तो उसे अपने ग्राहकों पर 6 पैसे प्रति मिनट का शुल्क लगाने की कोई जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन ट्राई द्वारा आईयूसी की समय-सीमा आगे बढ़ाने पर परिचर्चा पत्र जारी करने से इस बात की संभावना बढ़ गई है कि आईसीयू शुल्क शीघ्र ही समाप्त नहीं होगा और ऐसे में जियो को अन्य टेलीकॉम कंपनियों को फालतू में एक मोटी रकम का भुगतान करते रहना होगा, जो उसके लिए व्यवाहरिक नहीं है।