नई दिल्ली। देश भर में 42 दिनों से जारी ज्वैलर्स की हड़ताल आज खत्म हो गई है। सरकार के इस आश्वासन कि उत्पाद शुल्क अधिकारी उन्हें किसी भी तरीके से परेशान नहीं करेंगे, इसके बाद सर्राफा कारोबारियों ने 12 दिन के लिए अपनी हड़ताल वापस ले ली है। इस 42 दिन की हड़ताल में रत्न एवं आभूषण उद्योग को एक लाख करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। दिल्ली और मुंबई समेत बाकी शहरों के ज्वैलर्स अपनी दुकानों पर लौट चुके हैं। गौरतलब है कि सभी तरह की ज्वैलरी पर एक फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगाने के विरोध में देशभर के ज्वैलर्स 2 मार्च से हड़ताल पर थे।
कैसे खत्म हुई हड़ताल?
ज्वैलर्स एसोसिएशन ने मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की। मिली जानकारी के मुताबिक सरकार ने ज्वैलर्स की 11 में से 9 मांगे मान ली हैं और दो पर विचार करने का भरोसा दिया है। इस बैठक के साथ ही देशभर के ज्वैलर्स ने हड़ताल वापस लेने की घोषणा की है। हालांकि सरकार ज्वैलरी पर एक फीसदी एक्साइज ड्यूटी को रोलबैक नहीं करेगी। बुलियन एंड ज्वेलरी एसोसिएशन के अध्यक्ष राम अवतार वर्मा ने कहा कि यदि सरकार एक प्रतिशत के उत्पाद शुल्क को वापस लेने की हमारी मांग को पूरा नहीं करती है, तो 25 अप्रैल से हम फिर हड़ताल पर चले जाएंगे। सरकार ने जौहरियों की मांग पर विचार के लिए पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अशोक लाहिड़ी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। समिति अपनी रिपोर्ट 60 दिन में सौंपेगी।
क्यों ज्वैलर्स थे हड़ताल पर?
ज्वैलरी मैन्युफैक्चरर्स, सर्राफा कारोबारी और कारीगर गैर-चांदी के ज्वैलरी पर एक फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगाए जाने के खिलाफ 42 दिनों से हड़ताल पर थे। बुलियन और ज्वैलरी एसोसिएशन के सचिव योगेश सिंघल के मुताबिक, ज्वैलर्स की हड़ताल से देशभर में एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में कई ज्वेलरी शोरूम 2 मार्च से बंद हैं। हालांकि, तमिलनाडु में वित्त मंत्री अरण जेटली ने 29 फरवरी को बजट में गैर-चांदी के आभूषण पर एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाने की घोषणा की थी।
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