नई दिल्ली। देश के बड़े रियल एस्टेट डेवेलपर्स में से एक जेपी ने आज सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह दिल्ली में अपना एक प्रमुख हाईवे बेचना चाहती है। कंपनी ने आगे बताया कि इस बिक्री से मिलने वाली राशि का उपयोग उसके 30,000 से ज्यादा ऐसे ग्राहकों को पैसा वापस करने में किया जाएगा, जिन्होंने उसकी परियोजनाओं में फ्लैट बुक किए हैं।
जेपी इंफ्राटेक ने आज बताया कि वह यमुना एक्सप्रेस-वे को अन्य डेवेलपर को सौंपना चाहती है। उस डेवेलपर ने इसके लिए 2,500 करोड़ रुपए का भुगतान करने की पेशकश की है। सुप्रीम कोर्ट ने जेपी से 27 अक्टूबर तक 2,000 करोड़ रुपए जमा करने के लिए कहा है, ताकि फ्लैट खरीदारों को पैसा लौटाया जा सके।
उत्तर प्रदेश में जेपी प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदने वाले 40 खरीदारों ने पिछले साल लागू हुए दिवालियापन कानून को चुनौती दी है। उनका कहना है कि यह कानून प्रॉपर्टी डेवेलपर्स को लोन देने वाले बैंकों को अनुचित प्राथमिकता देता है, जबकि वह घर खरीदारों की सुरक्षा नहीं करता। बैंकों ने अपने 500 करोड़ रुपए का भुगतान न करने पर जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित करने की मांग की है। यदि कंपनी अपने आप को दिवालिया घोषित करती है तो ऐसे में खरीदारों को न तो फ्लैट मिलेगा और न ही उनका निवेश वापस मिलेगा।
छह लेन वाला यमुना एक्सप्रेस-वे, जो दिल्ली को आगरा से जोड़ता है, 2012 में जेपी द्वारा बनाया गया था। इसको बनाने पर 13,000 करोड़ रुपए की लागत आई थी। कंपनी को एक्सप्रेस-वे के आसपास टाउनशिप विकसित करने का भी अधिकार दिया गया था और वह इस हाईवे पर टोल वसूली के जरिये भी कमाई कर रही है।
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