नई दिल्ली। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच1बी वीजा के नियमों में कड़ाई की धमकी ने भले ही आईटी कंपनियों की नींद उड़ा दी हो, लेकिन दुनिया के दूसरे छोर से राहत की खबर आई है। दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था जापान ने भारत जैसे देशों के IT प्रोफेशनल्स के लिए अपने दरवाजे खोलने का एलान किया है।
हाल ही में जापान ने एफडीआई बढ़ाने के लिए वीजा नियमों में ढील देने और कॉरपोरेट टैक्स को कम करने जैसे बड़े कदम भी उठाए हैं। इसका सीधा फायदा भारत की आईटी कंपनियों को मिल सकता है।
अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक जापान द्वारा उठाए गए कदम मौजूदा दौर में और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं, क्योंकि अमेरिका समेत कई विकसित देश वीजा नियमों में कड़ाई करने और देश के नागरिकों के लिए तमाम संरक्षणवादी कदम उठाने में जुटे हैं।
अमेरिका और दूसरे यूरोपीय देशों के इस कदम से भारत की आईटी कंपनियों में भी चिंता का माहौल है। भारत और अन्य देशों से टैलंट को आकर्षित करने के लिए जापान सरकार ने ऐलान किया है कि वह जल्दी ही ऐसा ग्रीन कार्ड प्रोग्राम शुरू करेगी, जो दुनिया में सबसे तेजी से मंजूर होगा। यही नहीं उच्च पेशेवर विदेशी प्रफेशनल्स को वहां की स्थायी नागरिकता देने के नियमों को भी आसान करने पर विचार किया जा रहा है।
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जापान में नागरिकता मिलनी होगी आसान
आईटी और अन्य प्रोफेशनल्स को अपने देश में मौके देने के लिए जापान ने सुधारों की लंबी श्रंखला की शुरुआत की है। सरकार हाइली स्किल्ड फॉरन प्रफेशनल्स के लिए जारी किए जाने वाले ग्रीन कार्ड वीजा की अवधि को 5 साल से घटाकर 1 या 2 करने पर विचार कर रही है। इसके बाद वे जापान में स्थायी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। गौरतलब है कि बीते कई दशकों से जापान में मूल निवासियों की जनसंख्या में लगातार गिरावट आ रही है। यहां की कुल वर्किंग फोर्स में फिलहाल 1 से 2 फीसदी लोग दूसरे देशों के हैं।
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