नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली आज अपना तीसरा चुनौतीपूर्ण बजट पेश करेंगे। माना जा रहा है कि वित्त मंत्री के समक्ष कृषि क्षेत्र और उद्योग जगत की जरूरतों के बीच संतुलन बैठाने की कड़ी चुनौती होगी। उनके समक्ष इसके अलावा वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच सार्वजनिक खर्च के लिए संसाधन जुटाने का भी लक्ष्य होगा।
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आयकर के मोर्चे पर बजट में संभवत: कर स्लैब में यथास्थिति कायम रखी जाएगी, जबकि इसमें कर छूट में बदलाव हो सकता है। एक के बाद एक सूखे की वजह से ग्रामीण क्षेत्र दबाव में है। इसकी वजह से वित्त मंत्री पर सामाजिक योजनाओं में अधिक खर्च करने का दबाव है। इसके अलावा उनको विदेशी निवेशकों का भरोसा भी जीतना होगा, जो तेज सुधारों की मांग कर रहे हैं।
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सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन से सरकार पर 1.02 लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। इस वजह से भी वित्त मंत्री के लिए दिक्कतें बढ़ी हैं। अगले साल के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.5 फीसदी पर रखने के पूर्व में घोषित लक्ष्य से समझौता किए बिना वे इसे कैसे करते हैं यह देखने वाली बात होगी।
माना जा रहा है कि जेटली कॉरपोरेट टैक्स की दरों को चार साल में 30 से 25 फीसदी करने के अपने साल के वादे को पूरा करने के लिए भी कुछ कदम उठाएंगे। समझा जाता है कि वह कल बजट में इस प्रक्रिया की शुरुआत करेंगे, जिसमें टैक्स छूट को वापस लिया जाना शामिल होगा, जिससे इस प्रक्रिया से राजस्व तटस्थ रखा जा सके।
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