नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यों के मुख्य मंत्रियों को पत्र लिखकर पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स जैसे नैचुरल गैस, क्रूड ऑयल आदि पर सेल्स टैक्स या वैट घटाने के लिए कहा है। इन्हें जीएसटी से बाहर रखा गया है लेकिन इनका उपयोग वस्तुओं के लिए इनपुट के रूप में किया जा रहा है, जो नए जीएसटी के तहत आते हैं।
क्रूड ऑयल, पेट्रोल, डीजल, नैचुरल गैस और एविएशन टरबाइन फ्यूल (एटीएफ) को जीएसटी से बाहर रखा गया है। वित्त मंत्री द्वारा लिखे गए पत्र में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर द्वारा उठाई गई चिंताओं का उल्लेख किया गया है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का कहना है कि जीएसटी में आने से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की इनपुट कॉस्ट में वृद्धि हुई है।
नैचुरल गैस जैसे इनपुट का उपयोग पावर जनरेशन के साथ-साथ फर्टिलाइजर मैन्यूफैक्चरिंग, पेट्रोकेमीकल्स और कांच आदि जैसे उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। क्रूड ऑयल का उपयोग पेट्रोल और डीजल बनाने के अलावा केरोसिन, एलपीजी और इंडस्ट्रियल ईंधन जैसे नैफ्था, फ्यूल ऑयल और बिटूमेन बनाने में होता है। अन्य उद्योग इन इनपुट पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकते हैं लेकिन इनसे संबंधित उद्योग ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि क्रूड ऑयल, पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और नैचुरल गैस को जीएसटी से बाहर रखा गया है। ऐसे में इन पांच उत्पादों का इनपुट के रूप में उपयोग करने वाली कंपनियों की लागत काफी बढ़ गई है।
जेटली ने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर वैट का भार कम करने का आग्रह किया है। जीएसटी के बाद विनिर्मित उत्पाद पर जीएसटी लगता है, जबकि विनिर्माण में उपयोग होने वाले पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स जैसे इनपुट पर वैट लगता है। ऐसे में इनपर दोहरा टैक्स लग रहा है। कुछ राज्यों ने उत्पाद निर्माण में प्रयोग होने वाली सीएनजी पर 5 प्रतिशत वैट लगा रखा है। कुड राज्यों ने डीजल पर वैट घटाया है। दिल्ली में डीजल पर वैट 17.4 प्रतिशत और आंध्र प्रदेश में 31.06 प्रतिशत है। नैचुरल गैस पर वैट 0 से लेकर 15 प्रतिशत तक है।
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