नई दिल्ली। आयकर विभाग अधिक टीडीएस कटौती के मामले में रिफंड में देरी होने पर अब उसमें ब्याज भी जोड़ेगा। इस तरह के मामलों में टैक्स कटौती करने वाले के खिलाफ भविष्य में विवाद नहीं करेगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस बारे में एक निर्देश आयकर विभाग के आकलन अधिकारियों को जारी किया है। यह निर्देश उच्च न्यायालय के 2014 के एक आदेश पर आधारित है।
करोड़ों कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि टैक्स अधिकारियों को स्त्रोत पर टैक्स कटौती (टीडीएस) श्रेणी के तहत दिए जाने वाले रिफंड पर ब्याज देना होगा। टीडीएस आमतौर पर नियोक्ता कंपनी अपने कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन में से काटती है। इससे देश के करोड़ों कर्मचारियों को फायदा होगा।
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तीसरे पक्ष से मिली सूचना पर भी गौर करेगा आयकर विभाग
आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले या फिर आय की पूरी जानकारी नहीं देने वाले अब आयकर विभाग से नहीं बच पाएंगे। इस मामले में आयकर विभाग बैंकों, प्रवर्तन एजेंसियों और विदेशी कर प्रशासन से मिलने वाली सूचना पर भी गौर करेगा और उसके आधार पर कार्रवाई करेगा। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस संबंध में प्रत्यक्ष करों से जुड़े कुछ सामान्य में मानक परिभाषा की सिफारिश करने के लिये एक समिति गठित की है।
समिति ने किसी आकलन वर्ष के दौरान नॉन-फाइलर को परिभाषित करते हुये कहा कोई भी व्यक्ति जिसे कोई कर देना है अथवा रिकार्ड में उपलब्ध सूचना के मुताबिक उसे आयकर रिटर्न दाखिल करनी है, लेकिन संबंधित आकलन वर्ष के दौरान इस तरह की आयकर रिटर्न सिस्टम में दाखिल नहीं की गई।
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