नई दिल्ली। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी को 29,000 करोड़ रुपए से अधिक की मांग का टैक्स नोटिस भेजा है, जिसमें टैक्स के अलावा पिछली तारीख से टैक्स के बकाये पर 18,800 करोड़ रुपए का ब्याज भी शामिल है। केयर्न ऐसी दूसरी कंपनी है जिसे रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स नोटिस इस साल जारी किया गया है। इससे पहले वोडाफोन समूह को इसी तरह का नोटिस मिल चुका है।
केयर्न का मामला 2006 में उसके भारतीय कारोबार के पुनर्गठन के दौरान हुए पूंजीगत लाभ से संबंधित है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने उसे इस संबंध में 22 जनवरी 2014 को 10,247 करोड़ रुपए की टैक्स देनदारी के आकलन के आदेश का एक मसौदा जारी किया था। पिछले महीने उसे टैक्स आकलन संबंधी पक्का आदेश जारी किया गया। केयर्न एनर्जी ने 2015 के अपने वित्तीय परिणामों को जारी करते हुए बताया है कि, यह कर आकलन आदेश 10,247 करोड़ रुपए (करीब 1.6 अरब डॉलर) का है और उस पर 2007 से अब तक का 18,800 करोड़ रुपए (करीब 2.8 अरब डॉलर) का ब्याज शामिल है। यह नोटिस ऐसे समय में आया है, जबकि सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि वह रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून के तहत किसी नए टैक्स की मांग नहीं करेगी।
केयर्न को यह नोटिस वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा 2016-17 के बजट में कंपनियों को टैक्स विवादों के समाधान में रियायत की घोषणा से पहले जारी किया गया था। बजट प्रस्ताव के मुताबिक रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स विवाद निपटाने के लिए कंपनी को एक बार के लिए मूल राशि अदा करने पर ब्याज एवं जुर्माना माफ करने का प्रस्ताव किया गया है। सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग के नियमों के मुताबिक आयकर आकलन संबंधी आदेश को दो साल के भीतर पूरा करना होता है और यह नोटिस आकलन को निपटाने के लिए है। केयर्न ने कहा है कि यह नोटिस जिस आधार पर जारी किया गया है वह उसका सशक्त प्रतिवाद करती है। कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया है कि उसने इस मुद्दे को कंपनी ने कर विवाद के निपटान के लिए अंतराष्ट्रीय मध्यस्थता की कार्रवाई शुरू की है।
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