नई दिल्ली। सीबीडीटी ने देश में टैक्सपेयर्स की कुल संख्या, विभिन्न श्रेणी के टैक्सपेयर्स द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न में घोषित कमाई और पैन धारकों की संख्या के बारे में आंकड़े प्रकाशित किए हैं। डिपार्टमेंट ने कहा कि इन आंकड़ों को प्रकाशित करने का मकसद आयकर से जुड़े आंकड़ों के डिपार्टमेंट के कर्मियों तथा शिक्षाविदों द्वारा विश्लेषण के लिये उपयोग को लेकर प्रोत्साहित करना है।
टाइम सिरीज के तहत वित्त वर्ष 2000-01 से 2014-15 के बीच विभाग द्वारा वास्तविक प्रत्यक्ष कर संग्रह, जीडीपी के अनुपात के रूप में प्रत्यक्ष कर, सरकार के लिए राजस्व संग्रह की लागत और प्रभावी आयकरदाता तथा आईटी मामलों का निपटान आदि शामिल हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, पहली बार 84 पृष्ठ का आंकड़ा जारी किया गया है और उसे सार्वजनिक किया गया है। कई अर्थशास्त्रियों तथा शोधकर्ताओं इस प्रकार के आंकड़े जारी करने की मांग कर रहे थे और इसीलिए इसे विभाग के वेब पोर्टल पर अपलोड किया गया है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अधिक टीडीएस कटौती के मामले में रिफंड में देरी होने पर अब उसमें ब्याज भी जोड़ेगा तथा इस तरह के मामलों में कर कटौती करने वाले के खिलाफ भविष्य में विवाद नहीं करेगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने इस बारे में एक निर्देश आयकर विभाग के आकलन अधिकारियों को जारी किया है। यह निर्देश उच्च न्यायालय के 2014 के एक आदेश पर आधारित है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया था कि कर अधिकारियों को स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) श्रेणी के तहत दिए जाने वाले रिफंड पर ब्याज देना होगा।
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