नई दिल्ली। आयकर कानूनों को सरल बनाने पर सरकार को सुझाव देने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति ने स्रोत पर कर (TDS) की दर घटाने, टैक्स कटौती सीमा बढ़ाने तथा विदहोल्डिंग टैक्स की दर में कटौती का सुझाव दिया है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरवी ईश्वर समिति ने अपनी 78 पन्नों की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा है कि देश में करीब 65 फीसदी व्यक्तिगत आयकर संग्रह टीडीएस के जरिये होता है। ऐसे में टीडीएस प्रावधानों को अधिक अनुकूल बनाने की जरूरत है। पिछले कुछ साल से ये प्रावधान जटिल बने हुए हैं।
समिति ने इसकी सीमा को बढ़ाने तथा इसको तर्कसंगत बनाने का सुझाव दिया है। समिति ने टीडीएस दरों में कटौती की भी सिफारिश की है। समिति का कहना है कि व्यक्तिगत लोगों तथा हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए टीडीएस दर को मौजूदा 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया जाना चाहिए। समिति ने कहा है कि फिलहाल टीडीएस कटौती के लिए बहुत छोटी वार्षिक सीमाएं लागू हैं। प्रतिभूतियों पर ब्याज तथा राष्ट्रीय बचत योजना (एनएसएस) पर ब्याज के मामले में इसकी सीमा 2,500 रुपए है। निजी जमा तथा कमीशन या ब्रोकरेज में ब्याज भुगतान पर यह सीमा 5,000 रुपए है और बैंक ब्याज भुगतान मामले में यह सीमा 10,000 रुपए रखी गई है।
समिति ने सुझाव दिया है कि प्रतिभूतियों पर ब्याज के मामले में टीडीएस की सीमा को मौजूदा 2,500 रुपए से बढ़ाकर 15,000 रुपए वार्षिक किया जाना चाहिए। साथ ही इसके लिए कर की दर को आधा यानी 5 फीसदी किया जाना चाहिए। वहीं समिति का प्रस्ताव है कि बैंक जमा से आय पर टीडीएस सीमा को मौजूदा 10,000 रुपए से बढ़ाकर 15,000 किया जाना चाहिए। वहीं अन्य के लिए इसे 5,000 रुपए करने का सुझाव दिया गया है। समिति ने ठेकेदार को भुगतान के मामले में एकबारगी लेनदेन की 30,000 रुपए और वार्षिक 75,000 रुपए की सीमा को बढ़ाकर एक लाख रुपए वार्षिक करने का सुझाव दिया है। किराये से आय के लिए टीडीएस की सीमा को 1.8 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.4 लाख रुपए वार्षिक करने का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा पेशेवर या तकनीकी सेवाओं के लिए सीमा को बढ़ाकर 30,000 रुपए से 50,000 रुपए करने का सुझाव दिया गया है। साथ ही समिति ने इस मामले में टीडीएस दर को 10 फीसदी पर कायम रखने का सुझाव दिया है।
Latest Business News