ग्वालियर, नागपुर, अमृतसर और साबरमती स्टेशन का होगा पुनर्विकास, यात्रियों व आंगतुकों से वसूला जाएगा शुल्क
आईआरएसडीसी को ग्वालियर, नागपुर, अमृतसर और साबरमती रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए 32 सफल आवेदन मिले हैं।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण निवेश गतिविधियां धीमी पड़ने के बावजूद भारतीय रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (आईआरएसडीसी) को चार प्रमुख रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास और इन्हें सिटी सेंटर में बदलने के लिए इंफ्रा कंपनियों से अच्छी तादाद में प्रतिक्रियाएं मिली हैं। आईआरएसडीसी को ग्वालियर, नागपुर, अमृतसर और साबरमती रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए 32 सफल आवेदन मिले हैं। आवेदन करने वालों में प्रमुख इंफ्रा कंपनियां जैसे जीआर इंफ्रास्ट्रक्चर, कल्याण टोल, क्यूब कंस्ट्रक्शन और आई स्क्वार्ड कैपिटल आदि शामिल हैं।
इन आवेदनों में से सबसे अधिक 9 आवेदन साबरमती स्टेशन को मिले हैं। आईआरएसडीसी ने दिसंबर, 2019 में रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन आमंत्रित किया था। शुक्रवार को आईआरएसडीसी ने इन चार रेलवे स्टेशनों के आरएफओ को खोला। गौरतलब है कि इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड आरएलडीए और इरकॉन की संयुक्त उद्यम कंपनी है, जिसमें वर्तमान में दोनों की 50 -50 प्रतिशत हिस्सेदारी है। राइट्स के भी जल्द ही इस संयुक्त उपक्रम में 24 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की संभावना है।
रेलवे ने बताया है कि इन चार स्टेशनों के पुनर्विकास पर कुल 1300 करोड़ रुपए की लागत आएगी और पुनर्विकसित स्टेशनों को रेलोपोलिस के नाम से पुकारा जाएगा। साथ ही इस परियोजनाओं के लिए कोई भूमि उपयोग परिवर्तन और पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी।
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि जेकेबी, जीएमआर, आईएसक्यू कैपिटल, कल्पतरू, फेयरफैक्स/एंकरएज, मोंटे कार्लो, जीआर इंफ्रास्ट्रक्चर, कल्याण टोल, क्यूब कंस्ट्रक्शन आदि बड़ी कंपनियों से आवेदन प्राप्त हुए हैं। रेलवे के अनुसार, आवेदकों को शॉर्टलिस्ट करने के बाद, रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल आमंत्रित किया जाएगा, जिसमें बोलीदाताओं द्वारा बोली प्रस्तुत की जाएगी। संभावना है कि सभी चार परियोजनाओं पर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा।
बयान में आगे कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा पीपीपी परियोजनाओं के लिए गठित पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप अप्रैजल कमेटी (पीपीपएसी) द्वारा रेलवे को दी गई सैद्धांतिक मंजूरी में यह चार स्टेशन शामिल हैं।
यह चारों स्टेशन देश में पहले ऐसे रेलवे स्टेशन होंगे, जहां यात्रियों और आंगतुकों से पूर्व-निर्धारित उपयोग शुल्क वसूला जाएगा, यह स्टेशनों का पुनर्विकास करने वाली कंपनियों के लिए राजस्व का एक प्रमुख जरिया होगा।