नई दिल्ली: ईरान के सड़क एवं शहरी विकास मंत्री अब्बास अखोंदी ने कहा कि अंतरिम समझौते के तहत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह परिचालन के लिए एक महीने के भीतर भारतीय कंपनी को सौंप दिया जाएगा। अखोंदी नीति आयोग द्वारा आयोजित ‘मोबिलिटी शिखर सम्मेलन’ में भाग लेने के लिए यहां आए हुए हैं।
मंत्री ने कहा कि अंतरिम समझौते के तहत हम अब बंदरगाह (चाबहार) प्रबंधन के लिए भारतीय कंपनी को सौंपने के लिए तैयार हैं। चाबहार बंदरगाह सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत में है जो ऊर्जा संसाधन से भरपूर देश का दक्षिणी तट है। भारत के पश्चिमी तट से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसे पाकिस्तान के ग्वादार बंदरगाह के प्रत्युत्तर के रूप में देखा जा रहा है।
चाबहार बंदरगाह 1 महीने में सौंपा जा सकता है
सड़क परविहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ बैठक के बाद अखौंदी ने कहा कि हम पहले ही एक कदम आगे बढ़ चुके हैं। हमें भारत को बैंक चैनल पेश करना चाहिए जो हम पहले ही कर चुके हैं और सौभाग्य से भारत ने औपचारिक रूप से इसे स्वीकार्य भी कर लिया है। अखोंदी ने कहा कि भारत ने भी बैंकिंग जरिया पेश किया है जिसे ईरान के केंद्रीय बैंक ने मंजूरी दे दी है। ईरान के मंत्री ने कहा कि भारतीय पक्ष ने चाबहार बंदरगाह में निवेश किया है ओर हम बंदरगाह के उपयोग की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बंदरगाह एक महीने में सौंपा जा सकता है।
चाबहार बंदरगाह भारत के लिए क्यों जरूरी है?
भारत के लिए चाबहार बंदरगाह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे भारत के लिए मध्य एशिया से जुड़ने का सीधा रास्ता उपलब्ध कराएगा और इसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं होगा। खासकर अफगानिस्तान और रूस से भारत का जुड़ाव और बेहतर हो जाएगा। चाबहार के खुलने से भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार को बड़ा सहारा मिलेगा। इस बंदरगाह के जरिए भारत अब बिना पाकिस्तान गए ही अफगानिस्तान और फिर उससे आगे रूस और यूरोप से जुड़ सकेगा। अभी तक भारत को अफगानिस्तान जाने के लिए पाकिस्तान होकर जाना पड़ता था।
वीडियो में देखें पीएम मोदी का ईरान दौरा
Latest Business News