IOC ने बताया 24 अप्रैल के बाद क्यों नहीं बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम, ग्राहकों में घबराहट फैलने के थे आसार
सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन आयल कॉरपोरेशन (IOC) के चेयरमैन संजीव सिंह ने मंगलवार को कहा कि कंपनी ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को अस्थायी तौर पर स्थिर रखने का फैसला किया है ताकि ईंधन के मूल्य में तीव्र वृद्धि नहीं हो और ग्राहकों में घबराहट न फैले।
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन आयल कॉरपोरेशन (IOC) के चेयरमैन संजीव सिंह ने मंगलवार को कहा कि कंपनी ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को अस्थायी तौर पर स्थिर रखने का फैसला किया है ताकि ईंधन के मूल्य में तीव्र वृद्धि नहीं हो और ग्राहकों में घबराहट न फैले। सरकारी तेल कंपनियों ने कर्नाटक चुनाव से पहले पेट्रोल और डीजल के दामों की दैनिक समीक्षा का फैसला रोके जाने के बीच आईओसी ने यह बात कही है।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां 24 अप्रैल से पेट्रोल और डीजल के दाम में बदलाव नहीं कर रही हैं जबकि इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में मानक मूल्यों में करीब तीन डालर प्रति बैरल की तेजी आई है। सिंह ने हालांकि संकेत दिया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल कीमतों में वृद्धि जारी रहती है तो कीमत बढ़ेगी। कर्नाटक में 12 मई को चुनाव है।
एक कार्यक्रम में सिंह ने कहा कि हमने जरूरी वृद्धि का बोझ ग्राहकों पर नहीं डालकर अस्थायी रूप से ईंधन की कीमतों को स्थिर रखने का फैसला किया है क्योंकि हमें भरोसा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में मौजूदा तेल उत्पादों की कीमतें का कोई आधार नहीं है। इसीलिए हमने कुछ समय के लिये इंतजार करने का फैसला किया है।
इससे पहले, पेट्रोल के 55 महीने के उच्च स्तर 74.63 रुपए प्रति लीटर पर पहुंचने तथा डीजल के रिकॉर्ड 65.93 रुपए लीटर पर आने के साथ वित्त मंत्रालय ने आम लोगों को राहत देने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती से इनकार किया था। उसके बाद पेट्रोलियम कंपनियों ने ईंधन की कीमतें नहीं बढ़ायी हैं।
सिंह ने कहा कि हमें जो आजादी मिली है, उसके तहत हम दैनिक आधार पर वृद्धि का बोझ ग्राहकों पर डाल सकते हैं। लेकिन हमारा मानना है कि अंतरराष्ट्रीय तेल उत्पादों के दाम में वृद्धि का कोई उपयुक्त आधार नहीं है और उसका बोझ ग्राहकों पर डालने से अनवाश्यक रूप से ग्राहकों में घबराहट पैदा होगी। उन्होंने कहा कि इसीलिए हमने कुछ हद तक कीमत को स्थिर रखने का प्रयास किया है।
यह पूछे जाने पर क्या तीनों सरकारी तेल कंपनियों ने एक साथ खुदरा कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुताबिक नहीं बढ़ाने का फैसला किया, सिंह ने कहा कि यह संभव है। उन्हें भी यही लगा हो कि कीमत वृद्धि का कोई आधार नहीं है और इसे नियंत्रित करने की जरूरत है।
डीजल की अंतरराष्ट्रीय मानक दर इस दौरान 84.68 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 87.14 डॉलर पहुंच गयी। साथ ही रुपया भी डालर के मुकाबले कमजोर होकर 65.41 से बढ़कर 66.62 पर पहुंच गया। इससे आयात महंगा हुआ है।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले महीने उन रिपोर्ट को खारिज किया जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को लागत के मुताबिक ईंधन के दाम नहीं बढ़ाने और कम से कम एक रुपए प्रति लीटर का बोझ उठाने की बात कही गई थी।