पेट्रोनेट, आईजीएल के लिये ओपन ऑफर की स्थिति में आईओसी, गेल खरीद सकती हैं शेयर
सरकार की बीपीसीएल में 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी का मूल्य मौजूदा शेयर भाव के हिसाब से 52,125 करोड़ रुपये है। अतिरिक्त 26 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिये कंपनी के छोटे शेयरधारकों के लिये खुली पेशकश को लेकर 25,580 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत आएगी।
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) के निजीकरण के बाद ओपन ऑफर की स्थिति में पेट्रोनेट एलएनजी और इंद्रप्रस्थ गैस लि. (आईजीएल) के शेयर आईओसी, गेल और ओएनजीसी खरीद सकती हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी। बीपीसीएल की देश की सबसे बड़ी लिक्विड नेचुरल गैस आयातक पेट्रोनेट में 12.5 प्रतिशत और खुदरा गैस बेचने वाली इंद्रपस्थ गैस लि. (आईजीएल) में 22. 5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। बीपीसीएल दोनों सूचीबद्ध कंपनियों की प्रवर्तक है और उनके निदेशक मंडल में शामिल है।
निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के कानूनी स्थिति के मूल्यांकन के तहत बीपीसीएल को अधिग्रहण करने वाली कंपनी को 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने को लेकर पेट्रोनेट एलएनजी और आईजीएल के अल्पांश शेयरधारकों के लिये ओपन ऑफर देना होगा। दीपम सरकार की बीपीसीएल में पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया में है। मामले से जुड़े तीन लोगों ने बताया कि इस प्रकार की स्थिति से बचने के लिये दीपम ने बाजार नियामक सेबी को पेट्रोनेट और आईजीएल में ओपन ऑफर को लेकर छूट देने का आग्रह किया है। सूत्रों के अनुसार हालांकि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि आईजीएल और पेट्रोनेट के प्रवर्तक के रूप में बीपीसीएल को निर्धारित प्रारूप में आवेदन देने की जरूरत होगी। छूट नहीं मिलने और खुली पेशकश की स्थिति में, पेट्रोनेट और आईजीएल के अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के प्रवर्तक इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए बीपीसीएल का अधिग्रहण करने वाली कंपनी के साथ इस तरह के शेयर की पेशकश में संयुक्त रूप से भाग ले सकते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे दोनों कंपनियों में सबसे बड़े शेयरधारक बने रहें। गैस कंपनी गेल की आईजीएल में 22.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है और वह कंपनी में बीपीसीएल के साथ सह-प्रवर्तक है। पेट्रोनेट के मामले में गेल, रिफाइनरी कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और तेल एवं गैस उत्पादक ओएनजीसी की 12.5-12.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। बीपीसीएल की भी इतनी ही हिस्सेदारी है।
पेट्रोनेट और एलएनजी के शेष शेयर सार्वजनिक और संस्थागत निवेशकों के पास हैं। बीपीसीएल के निजी कंपनी बनने से आईजीएल और पेट्रोनेट में सार्वजनिक क्षेत्र की शेयरधारिता कम होगी। इससे दोनों कंपनियों की स्थिति बदल सकती है। आईजीएल में बीपीसीएल को अधिग्रहण करने वाली कंपनी की खुली पेशकश के बाद 48.5 प्रतिशत हिस्सेदारी हो जाएगी। पेट्रोनेट में 38.5 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी, जो आईओसी, ओएनजीसी और गेल की 37.5 प्रतिशत हिस्सेदारी से ज्यादा है। सूत्रों के अनुसार इन कंपनियों को सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई बनाये रखने के लिये यह सुझाव दिया गया है कि आईजीएल और पेट्रोनेट के अन्य प्रवर्तक बीपीसीएल के अधिग्रहणकर्ता के साथ खुली पेशकश में संयुक्त रूप से भाग ले सकते हैं। इससे वे सामान्य शेयरधारकों के कुछ शेयर अधिग्रहण कर अपनी हिस्सेदारी इन कंपनियों में बढ़ा सकते हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सार्वजनिक उपक्रम इन कंपनियों में सबसे बड़े शेयरधारक बने रहेंगे।
सूत्रों के अनुसार सरकार का विचार है कि बीपीसीएल का अधिग्रहण करने वाले के लिये पेट्रोनेट और आईजीएल के लिये खुली पेशकश को लेकर मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। उसका मानना है कि पेट्रोनेट और आईजीएल के लिए खुली पेशकश उन बोलीदाताओं को रोक सकती है जो मुख्य रूप से बीपीसीएल की तेल शोधन परिसंपत्तियों और ईंधन विपणन कारोबार में 22 फीसदी हिस्सेदारी पर नजर टिकाए हुए हैं। सरकार की बीपीसीएल में 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी का मूल्य मौजूदा शेयर भाव के हिसाब से 52,125 करोड़ रुपये है। अतिरिक्त 26 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिये कंपनी के छोटे शेयरधारकों के लिये खुली पेशकश को लेकर 25,580 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत आएगी। इसके अलावा, आईजीएल में 26 प्रतिशत के लिये खुली पेशकश को लेकर 9,800 करोड़ रुपये तथा पेट्रोनेट के मामले में करीब 8,500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत आएगी।
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