नयी दिल्ली। भारतीय पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी नोट्स) के जरिये अक्टूबर में निवेश मामूली बढ़कर 76,773 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। इससे पिछले चार माह के दौरान पी-नोट्स के जरिए निवेश घटा था। पी-नोट्स पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किया जाता है तो भारतीय शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें सीधे अपना पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं होती। हालांकि, उनकी पूरी जांच-पड़ताल होती है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में पी-नोट्स के जरिए निवेश बढ़ा है। लेकिन जून से सितंबर तक लगातार चार माह के दौरान पी-नोट्स के जरिए निवेश में गिरावट आई थी। अक्टूबर में पी-नोट्स के जरिए भारतीय बाजारों (शेयर, बांड और डेरिवेटिव) में निवेश मामूली बढ़कर 76,773 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। सितंबर के अंत तक यह 76,611 करोड़ रुपए था। अगस्त के अंत तक भारतीय पूंजी बाजार में पी-नोट्स के जरिए कुल 79,088 करोड़ रुपए का निवेश आया था।
जुलाई के अंत तक पी-नोट्स के जरिए निवेश 81,082 करोड़ रुपए था। इस तरह अगस्त में पी-नोट्स के जरिए निवेश घटा था। जून के अंत तक पी-नोट्स के जरिए कुल निवेश 81,913 करोड़ रुपए रहा था जो मई के अंत तक 82,619 करोड़ रुपए था। अक्टूबर के अंत तक पी-नोट्स के जरिए कुल निवेश में से 52,753 करोड़ रुपए का निवेश शेयर में, 23,316 करोड़ रुपए बांड या ऋण बाजार में और 704 करोड़ रुपए का निवेश डेरिवेटिव खंड में हुआ था।
जानिए क्या होते हैं पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट )
पार्टिसिपेटरी नोट यानी (पी-नोट ) एक तरह का ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट होता है। जो इन्वेस्टर्स सेबी के पास रजिस्ट्रेशन कराए बगैर इंडियन सिक्यॉरिटीज में पैसा लगाना चाहते हैं, वे इनका इस्तेमाल करते हैं। विदेशी इन्वेस्टर्स को पी-नोट्स सेबी के पास रजिस्टर्ड फॉरन ब्रोकरेज फर्म्स या डोमेस्टिक ब्रोकरेज फर्म्स की विदेशी यूनिट्स जारी करती हैं। ब्रोकर इंडियन सिक्यॉरिटीज (शेयर, डेट या डेरिवेटिव्स) में खरीदारी करते हैं और फीस लेकर उन पर क्लायंट को पी-नोट्स इश्यू करते हैं।
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