नई दिल्ली: अगस्ता वेस्टलैंड VVIP हेलीकॉप्टर सौदे में कथित भ्रष्टाचार को लेकर चल रहे विवाद के बीच वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि भारत की जांच एजेंसियां यह पता लगाने में सक्षम हैं कि अवैध लेन देन में धन कहां से निकल कर कहां तक पहुंचा। उन्होंने कहा कि जनता की भलाई के लिए ऐसे मामलों का सरकार पीछा करेगी।
यह पूछे जाने पर कि सरकार कितनी आश्वस्त है कि वह धन सोनिया गांधी तक पहुंचने की बात को साबित कर सकेगी या यह केवल राजनीतिक धौंस-पट्टी भर है, सिन्हा ने कहा, यह सब जांच का मामला है जो हमारी एजेंसियां कर रही हैं और वे बहुत ही सक्षम हैं। उन्होंने यहां प्रवर्तन निदेशालय दिवस के अवसर पर कहा, जांच एजेंसियां उस धन के रास्ते को ढूंढने और उसका पता लगाने की क्षमता रखती हैं। निश्चित रूप से हम देश की जनता के फायदे के लिए इस मामले का पीछा वहां तक करेंगे जहां तक जांच और सबूत हमें लेकर कर जाएंगे। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी हेलीकॉप्टर सौदे में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की संलिप्तता के आरोप लगा रही है।
VVIP हेलीकॉप्टर के 3,600 करोड़ रुपए का यह सौदा 2010 में तत्कालीन यूपीए सरकार के एक फैसले से जुड़ा है। तत्कालीन सरकार ने अगस्ता वेस्टलैंड की इटली विनिर्माता फिनमेकेनिका से 12 हेलीकॉप्टर खरीदने का फैसला किया था। CBI ने 2013 में इस सौदे में कथित रिश्वतखोरी के संबंध में एक मामला दर्ज किया। आरोप है कि कंपनी ने 12 हेलीकॉप्टरों का यह सौदा हासिल करने के लिए कई भारतीयों को रिश्वत दी।
सिन्हा ने कहा, मुझे लगता है कि निदेशालय व अन्य सरकारी जांच एजेंसियों में हमें एक जो काम करना होगा वह है (बिग डेटा) बड़ी सूचनाओं का विश्लेषण। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि यदि आप FEMA के तहत रिजर्व बैंक द्वारा रखे जाने वाले आंकड़े और विदेशी विनिमय के लेन देन की जानकारियों को देखें तो वह आंकड़ा सीमा शुल्क विभाग द्वारा विदेशों को भेजी जाने वाली वस्तुओं और वहां से मंगाई जाने वाली वस्तुओं के बिल ऑफ एंट्री (प्रवेश पर्ची) के आंकड़ों से मेल नहीं खाता। यदि आंकड़ों के इस अंतर को विभिन्न एजेंसियों को बताया जाए तो जांच में और भी निपुणता आ सकती है।
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