नई दिल्ली। बैंकों का 9,000 करोड़ रुपए से अधिक ऋण चुकाए बिना देश से बाहर जाने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या को देश में वापस लाने की सरकारी कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। इंटरपोल ने माल्या के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने से मना कर दिया है। इंटरपोल ने कहा है कि माल्या के खिलाफ अभी तक कोई आपराधिक मामला साबित नहीं हुआ है और नोटिस जारी करने के लिए पर्याप्त सबूत भी नहीं हैं।
कानूनी प्रक्रिया के तहत माल्या को भारत लाने में मोदी सरकार की कोशिशों में इसे बड़ी रुकावट माना जा रहा है। गौरतलब है जब कोई अपराधी देश छोड़कर चला जाता है तो इंटरपोल उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर उसे उसके देश वापस भेज सकता है। टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि माल्या के पास बचने के काफी रास्ते हैं। यदि इंटरपोल माल्या से पूछताछ करती भी है तो माल्या साफ बच निकलेंगे, क्योंकि वे कह सकते हैं कि वे कर्ज लौटाना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने बैंकों को प्रस्ताव भी दिया है। इसके अलावा माल्या खुद को पहले ही एनआरआई साबित कर चुके हैं।
सरकार से कहां हुई चूक
भारत सरकार ने इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का अनुरोध किया था। इसके लिए भेजे गए ब्योरे में कहा गया था कि माल्या की कंपनियों पर करोड़ों रुपए का कर्ज बकाया है और उनके खिलाफ कोर्ट में सुनवाई चल रही है। अगर भारत सरकार ने यह कहती की माल्या ने धोखाधड़ी की है तो शायद इंटरपोल अनुरोध पर विचार करता। इसके लिए जरूरी था कि सरकार माल्या के खिलाफ वित्तीय आपराधिक मामला बनाती और उनके खिलाफ मामला दर्ज कराती।
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