कर्ज में डूबे भारत के बड़े राज्य, ब्याज लागत 11 महीने के उच्च स्तर 7.19 प्रतिशत पर पहुंची
विश्लेषकों के अनुसार कर्ज की ऊंची लागत का कारण बैंकों तथा सरकारी बांड के अन्य निवेशकों का राजकोषीय घाटा बढ़ने को लेकर डर है।
मुंबई। ब्याज दर के रिकार्ड न्यूनतम स्तर पर होने के बावजूद मंगलवार को 23,806 करोड़ रुपये के नए बाजार कर्ज जुटाने के लिए राज्य सरकारों के बांड पर ब्याज की लागत 11 माह के उच्चतम स्तर 7.19 प्रतिशत पर पहुंच गयी। केयर रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले सात अप्रैल, 2020 को केरल को 6,000 करोड़ रुपये का कर्ज 8.96 प्रतिशत पर लेना पड़ा था।
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आरबीआई के नकदी सुनिश्चित करने के कुछ उपायों के एक पखवाड़े के बाद यह स्थिति हुई थी। हाल के वर्षों में किसी राज्य द्वारा बाजार उधारी के लिये दिया गया सर्वाधिक ब्याज था। विश्लेषकों के अनुसार कर्ज की ऊंची लागत का कारण बैंकों तथा सरकारी बांड के अन्य निवेशकों का राजकोषीय घाटा बढ़ने को लेकर डर है। राज्यों के लिये उधारी की मौजूदा लागत अप्रैल के 8.96 प्रतिशत के बाद सर्वोच्च स्तर है। वास्तव में, पिछले छह सप्ताह से राज्यों के लिये बाजार उधारी की लागत लगातार बढ़ी है।
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हालांकि निवेश पर रिटर्न में वृद्धि बजट घोषणा के बाद बढ़नी शुरू हुई है। इसके बावजूद उस समय से केवल 0.31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मंगलवार को हुई नीलामी में राज्यों के लिये कर्ज की भारित औसत लागत 7.19 प्रतिशत रही जो एक सप्ताह पहले 16 फरवरी को 7.01 प्रतिशत के मुकाबले 0.18 प्रतिशत अधिक है। चालू वित्त वर्ष में राज्यों की ओर से बाजार से औसत रुप से साप्ताहिक 14,584 करोड़ रुपये के बांड नीलाम किए गए ।