2018 में इंश्योरेंस सेक्टर में आएंगे नए आईपीओ, देखने को मिलेंगे विलय और अधिग्रहण
समाप्त हो रहे वर्ष 2017 में पांच बीमा कंपनियों के सफल प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के बाद नए वर्ष में और अधिक बीमा कंपनियों के प्राथमिक पूंजी बाजार में दस्तक देने की उम्मीद है।
नयी दिल्ली। समाप्त हो रहे वर्ष 2017 में पांच बीमा कंपनियों के सफल प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के बाद नए वर्ष में और अधिक बीमा कंपनियों के प्राथमिक पूंजी बाजार में दस्तक देने की उम्मीद है। इस वर्ष दो सरकारी बीमा कंपनियों समेत बीमा क्षेत्र में पांचों कंपनियों ने बाजार से करीब 45,000 करोड़ रुपये जुटाए। वर्ष 2018 में आईपीओ की बाढ़ के अलावा बीमा क्षेत्र में कंपनियों के विलय और अधिग्रहण भी देखने को मिल सकते हैं। इस साल एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस का मैक्स लाइफ और मैक्स फाइनेंशियल सर्विसेज के साथ विलय का प्रस्ताव लटक गया जो नए साल में पूरा हो सकता है।
बजाज अलायंज जरनल इश्योरेंस कंपनी के सीईओ तपन सिंघल ने कहा कि हाल के समय में बीमा क्षेत्र में कुछ एकीकरण शुरू हुआ है। इसके आगे भी जारी रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि बीमा उद्योग में जो तेजी दिखाई दे रही है और इसके आने वाले सालों में बने रहने का अनुमान है। यह एकीकरण के लिए अधिक अवसर प्रदान करता है क्योंकि कुछ प्रवर्तक गैर-प्रमुख व्यवसाय से किनारा कर सकते हैं और प्रतिष्ठित बड़ी बीमा कंपनियां बाजार में पांव पसारना चाहती हैं।
पूंजी जुटाने के लिहाज से, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड पहली कंपनी रही, जिसने आईपीओ के माध्यम से इस साल 5,700 करोड़ रुपये जुटाए। बीमा कंपनी जीआईसी री ने सबसे ज्यादा 11,176 करोड़ रुपये , न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी ने 9,467 करोड़ रुपये, एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस 8,695 करोड़ रुपये, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने 8,386 करोड़ की पूंजी जुटाई।
अन्य सरकारी बीमा कंपनियों में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी- भी पूंजी बाजार में उतरने की तैयारी में हैं। अपोलो म्यूनिच हेल्थ इंश्योरेंस के सीईओ एंटोनी जैकब ने कहा कि बीमा क्षेत्र बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है, खासकर स्वास्थ्य बीमा खंड। उन्होंने कहा कि तकनीकी आधारित विचारों ने इस व्यवसाय का स्वरुप बदला है। नए उत्पादों के साथ सभी खंड तेजी से बढ़ रहे हैं और वितरण तंत्र का विस्तार किया जा रहा है। यह प्रवृत्ति आगे भी जारी रहेगी और बीमा कंपनियां तकनीकी आधारित विचारों पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
जैकब ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी ने लघु अवधि में कारोबार और आर्थिक वृद्धि को प्रभावित किया। अर्थव्यवस्था की स्थिरता के बाद तेजी फिर से लौटेगी। उन्होंने कहा, "क्षेत्र में सुधार के साथ ही नवागंतुक कंपनियां नए उत्पाद के साथ आएंगी। इससे आगे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।