सार्क के आपातकालीन फंड से बचने के लिए बहानेबाजी पर उतरा पाकिस्तान, फंड के इस्तेमाल पर सफाई मांगी
अब तक सार्क फंड में करीब 2 करोड़ डॉलर जमा जिसमें पाकिस्तान का हिस्सा शून्य
नई दिल्ली। कोरोना से लड़ने के लिए स्थापित सार्क फंड से पल्ला झाड़ने के लिए पाकिस्तान बहाने बाजी पर उतर आया है। बिना कोई रकम दिए पाकिस्तान ने सार्क फंड के इस्तेमाल और उद्देश्यों पर सार्क से सफाई मांगी है। साथ ही मांग रखी है कि फंड को इस्तेमाल करने की जिम्मेदारी सार्क के महासचिव को मिले। फिलहाल सार्क के महासचिव श्रीलंका के है। यानि पाकिस्तान चाहता है कि सबसे ज्यादा मदद देने के बावजूद फंड पर नियंत्रण भारत के पास न हो।
माना जा रहा है कि पाकिस्तान सरकार खुद को मोदी की लीडरशिप में काम करता हुआ नहीं दिखाना चाहती है, इसलिए पाकिस्तान एक तरफ सार्क की साझा कोशिश से बचने के लिए बहाने तलाश रहा है वहीं दूसरी तरफ जी 20 सहित यूरोपियन देशों से कर्ज में राहत की गुहार लगा रहा है। फिलहाल सार्क देशों में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले पाकिस्तान में दर्ज किए गए हैं।
सार्क देशों में शामिल सिर्फ पाकिस्तान ऐसा देश है जिसने अब तक को सार्क फंड में कोई रकम नहीं जमा की है। भारत ने फंड में 1 करोड़ डॉलर, श्रीलंका ने 50 लाख डॉलर, बांग्लादेश ने 15 लाख डॉलर, नेपाल और अफगानिस्तान ने 10-10 लाख डॉलर, मालदीव ने 2 लाख डॉलर और भूटान ने 1 लाख डॉलर की मदद की है।
पाकिस्तान मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इमरान सरकार ने फंड देने की बात कही है लेकिन इससे पहले फंड के इस्तेमाल पर सफाई मांगी है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इस मामले पर भारत और अफगानिस्तान को छोड़कर बाकी सार्क देशों के विदेश मंत्रियों से बात कर चुके हैं। पाकिस्तान खुद को मोदी की लीडरशिप में नहीं दिखाना चाहता है, यही वजह है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने ऐलान किया है कि वो कोरोना से जंग में सार्क देशों से बाहर जाकर भी दूसरे देशों से बातचीत कर रहे हैं।
पाकिस्तान चाह रहा है कि जी-20 देशों की बैठक में संकट से जूझ रहे विकासशील देशों को कर्ज राहत पर सहमति बन जाए। हालांकि यहां पर भी उसे मोदी सरकार की रणनीति से पार पाना होगा क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी पहले से ही सार्क देशों की तर्ज पर जी -20 देशों को कोरोना से लड़ने के लिए एक योजना पर काम करने के लिए तैयार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी 20 की वर्चुअल बैठक में हिस्सा लेंगे।