नई दिल्ली। दिवालिया होने की तरफ बढ रही ऐसी कंपनियों पर नियामकों की निगाह पड़ी है जो दिवालाशोधन पेशेवरों की मदद से ऐसी मुखौटा कंपनियों की तलाश में है जो ऋण पुनर्गठन योजना के तहत उनका अधिग्रहण करने को तैयार हो जाएं। शीर्ष नियामकीय अधिकारियों के अनुसार, इनमें से कुछ कंपनियां गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के ऐसे प्रोफेशनल्स से संपर्क कर रही हैं जिनकी बाजार में अच्छी छवि है और उन्हें संपत्ति पुनर्गठन स्टार्टअप शुरू करने का प्रलोभन दे रही हैं ताकि वे दिवालाशोधन प्रक्रिया में बिक्री के लिए उपलब्ध संपत्तियों की नीलामी में बोली लगा सकें।
ये कंपनियां दोस्ताना दिवालाशोधन पेशेवरों की मदद से भी ऐसी मुखौटा कंपनियों का प्रबंध करने में लगे हैं जो नीलामी में बोली लगा सकें। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि व्हिसलब्लोअर तथा अन्य सूत्रों से सरकार व नियामक को इस मॉडल की भनक लग चुकी है।
उन्होंने कहा कि इस तरह के मॉडल को अपनाने को लेकर इस्पात, बिजली और कपड़ा उद्योग क्षेत्र की कंपनियां नियामक की निगाह में हैं। हालांकि अधिकारी ने कंपनियों के नाम का खुलासा करने से इंकार कर दिया।
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