विशाखापट्टनम। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को आर्थिक क्षेत्र में आगे बढ़ना है तो वह चौथी औद्योगिक क्रांति के औजारों को अपनाने में हिचक नहीं दिखा सकता, जिसमें जोर ऑटोमेशन और पर्सनल कम्प्यूटर नियंत्रित मैन्यूफैक्चरिंग कार्य पर है।
विशेषज्ञों ने देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी और विश्व में चल रही सर्वोत्तम विनिर्माण पद्धतियों को अपनाए जाने पर बल दिया है।
गौरतलब है कि सरकार ने जीडीपी में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान 25 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, जो इस समय 17 प्रतिशत के आसपास है।
- रोजगार के अवसर और आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाने में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की भूमिका बड़ी मानी जा रही है।
- हॉस्पिरा हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक श्रीनी श्रीनिवासन ने कहा कि मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए भारतीय उद्योग जगत को इंडस्ट्री-4.0 को अपनाना ही होगा।
- इसी सत्र में केंद्रीय उद्योग सचिव रमेश अभिषेक ने कहा कि इंडस्ट्री-4.0 के लिए भारतीय कंपनियों को विश्व में लागू विनिर्माण की सर्वोत्तम पद्धतियों को अपनाना होगा।
- इसके लिए निवेश-पूंजी की भी जरूरत होगी।
- इसके अलावा गुणवत्ता, रोजगार, कौशल, आपूर्ति श्रृंखला और नवप्रवर्तन पर ध्यान देना होगा।
- सीमेंस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ सुनील माथुर ने कहा कि भारतीय औद्योगिक इकाइयों को बिजली वाली मशीन से आगे बढ़ कर स्वचालित मशीनरी और उससे आगे डिजिटल मशीनों की ओर बढ़ना चाहिए।
- टाटा केमिकल्स के प्रबंध निदेशक आर मुकुंदन ने कहा कि इसके लिए सरकार को कौशल विकास पर ध्यान देना चाहिए।
- यदि सही कौशल विकास नहीं हुआ तो इंडस्ट्री-4.0 में नौकरियां जाने और नौकरियों के गलत रास्तों पर जाने का खतरा गंभीर है।
- उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में ऑटोमेशन और कम्प्यूटर नियंत्रित मैन्यूफैक्चरिंग का काम तेजी से बढ़ेगा।
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