नयी दिल्ली: औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की वृद्धि दर जनवरी महीने में धीमी पड़कर 1.7 प्रतिशत रह गई। विनिर्माण क्षेत्र, विशेषरूप से पूंजीगत सामान और उपभोक्ता सामान क्षेत्र के सुस्त प्रदर्शन की वजह से आईआईपी की वृद्धि दर कम हुई है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा आईआईपी के आंकड़े रिजर्व बैंक की चार अप्रैल को आने वाली मौद्रिक समीक्षा से पहले जारी किए गए हैं। माना जा रहा है कि इससे रिजर्व बैंक पर ब्याज दर में कटौती का दबाव बढ़ेगा।
एक साल पहले यानी जनवरी, 2018 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रही थी। इस बीच, सीएसओ ने दिसंबर, 2018 के आईआईपी आंकड़ों को ऊपर की ओर संशोधित कर 2.6 प्रतिशत कर दिया है। पहले इसके 2.4 प्रतिशत रहने का अनुमान था। सीएसओ के मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जनवरी में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 1.3 प्रतिशत रह गई, जो जनवरी, 2018 में 8.7 प्रतिशत पर थी। इसी तरह बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर 0.8 प्रतिशत रही, जो एक साल पहले इसी महीने में 7.6 प्रतिशत थी।
हालांकि, खनन क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहा। जनवरी में खनन क्षेत्र की वृद्धि दर बढ़कर 3.9 प्रतिशत हो गई, जो एक साल पहले इसी महीने में 0.3 प्रतिशत थी। आंकड़ों के अनुसार पूंजीगत सामान क्षेत्र का उत्पादन जनवरी महीने में घट गया। इस क्षेत्र को नये निवेश का संकेतक माना जाता है। इसी तरह मध्यवर्ती वस्तुओं के उत्पादन में भी गिरावट आई। आंकड़ों के अनुसार जनवरी में टिकाऊ उपभोक्ता सामान और गैर टिकाऊ उपभोक्ता सामान क्षेत्र की उत्पादन वृद्धि भी कम रही। सीएसओ के अनुसार चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जनवरी अवधि में औद्योगिक उत्पादन की औसत वृद्धि दर 4.4 प्रतिशत रही है जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में औसतन 4.1 प्रतिशत रही थी।
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