मुंबई: इंडसइंड बैंक ने ‘लोन एवरग्रीनिंग’ पर व्हिसलब्लोअर के दावों को पूरी तरह से ‘‘गलत और निराधार’’ बताते हुए हुए शनिवार को स्वीकार किया कि उसने मई में तकनीकी गड़बड़ी के कारण 84,000 हजार ग्राहकों को बिना उनकी सहमति के ऋण दिया। ‘लोन एवरग्रीनिंग’ का अर्थ डिफाल्ट की कगार पर पहुंच चुके ऋण का नवीनीकरण करने के लिए उस फर्म को ताजा ऋण देना है।
निजी क्षेत्र के बैंक ने सफाई देते हुए कहा कि फील्ड कमचारियों ने दो दिन के भीतर ही बिना सहमति के ग्राहकों को ऋण देने की सूचना दी थी, जिसके बाद इस गड़बड़ी को तेजी से ठीक कर लिया गया।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अज्ञात व्हिसलब्लोअर ने बैंक प्रबंधन और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को इंडसइंड बैंक की सहायक इकाई बीएफआईएल द्वारा दिए गए इस तरह के ऋण के बारे में एक पत्र लिखा है, जिसमें कुछ शर्तों के साथ ऋण के नवीनीकरण (लोन एवरग्रीनिंग) का आरोप लगाया गया है। इस तरह जहां मौजूदा ग्राहक अपना कर्ज नहीं चुका पा रहे थे, वहां उन्हें नया ऋण दिया गया, ताकि बही-खातों को साफ रखा जा सके।
बैंक ने इन आरोपों पर कहा, ‘‘हम लोन एवरग्रीनिंग के आरोपों का पूरी तरह से खंडन करते है। बीएफआईएल द्वारा जारी और प्रबंधित ऋण नियामक द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पूरी तरह से पालन करने के बाद ही दिए गए। इसमें कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के प्रकोप के दौरान दिए गए ऋण भी शामिल है।’’ बैंक ने कहा कि मई 2021 में तकनीकी गड़बड़ी के कारण करीब 84,000 ग्राहकों को बिना अनुमति के ऋण दिए गए।
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