नई दिल्ली। भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइन कंपनी इंडिगो को वित्त वर्ष 2015-16 की तीसरी तिमाही में शु्द्ध मुनाफा 24 फीसदी बढ़ा है। मुनाफा बढ़ने की प्रमुख वजह पैसेंजर ट्रैफिक में इजाफा और कॉस्ट कंट्रोल के लिए उठाए गए कदम हैं। इंडिगो की पैरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन का कहना है कि ईंधन कीमतों में नरमी तथा यात्री आय बढ़ने से इस तिमाही में उसका मुनाफा बढ़ा है। कम किराये वाली इस एयरलाइंस को अक्टूबर-दिसंबर 2015 तिमाही में कुल 6श्573 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 5,315 करोड़ रुपए था। पिछले साल नवंबर में शेयर बाजार में लिस्ट होने के बाद इंडिगो का यह पहला सार्वजनिक वित्तीय परिणाम है।
अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू 12 फीसदी बढ़कर 44,075 करोड़ रुपए रहा है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 39,388 करोड़ रुपए था। डीजीसीए के मुताबिक इंडिगो के पास 35.9 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है, जो कि दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन जेट एयरवेज से कही ज्यादा है। जेट एयरवेज की बाजार हिस्सेदारी अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 18.5 फीसदी थी। अक्टूबर-दिसंबर 2015 तिमाही के दौरान इंडिगो के साथ 83.3 लाख यात्रियों ने यात्रा की, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 65.3 लाख यात्रियों ने यात्रा की थी।
कंपनी के खर्च इसके मुनाफे और रेवेन्यू की तुलना में बहुत कम बढ़े हैं। खर्च में पिछले साल की तुलना में 9.1 फीसदी की वृद्धि हुई है और यह 34,746 करोड़ रुपए रहा है। इंडिगो के पैसेंजर लोड फैक्टर में भी 3.4 फीसदी बढ़कर 84.6 फीसदी हो गया है। इंडिगो ने इस तिमाही में अपने फ्लीट की संख्या बढ़ाकर 100 कर ली है और इसके एयरक्राफ्त की औसत आयु 4.2 साल है।
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