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Hindi News पैसा बिज़नेस भारत का सोलर एनर्जी का सपना भी है मेड इन चाइना, चीन से हो रहा है सोलर उपकरणों का भारी आयात

भारत का सोलर एनर्जी का सपना भी है मेड इन चाइना, चीन से हो रहा है सोलर उपकरणों का भारी आयात

तेजी से कम होते टैरिफ, टेक्‍नोलॉजी में सुधार और पीवी पैनल का दुनियाभर विशेषकर चीन से अत्‍यधिक आपूर्ति से भारत के सोलर एनर्जी को गति मिल रही है।

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नई दिल्‍ली। भारतीय सोलर एनर्जी सेक्‍टर अभूतपूर्व वृद्धि के बीच रास्‍ते में खड़ा है। तेजी से कम होते टैरिफ, टेक्‍नोलॉजी में सुधार और फोटोवोल्टिक (पीवी) पैनल व अन्‍य सामग्री का दुनियाभर विशेषकर चीन से अत्‍यधिक आपूर्ति से भारत के सोलर एनर्जी को गति मिल रही है। अमेरिका, चीन और जापान की तुलना में भारत का यह बाजार बहुत छोटा है और सभी प्रमुख देशों की तुलना में यह तेजी से विकसित हो रहा है। 2016 में भारत को 5.4 गीगा वाट नई सोलर कैपेसिटी जुड़ने की उम्‍मीद है, जो इसे दुनियाभर में चौथा सबसे बड़ा सोलर मार्केट बनाती है। अभी देश के कुल सोलर ऊर्जा क्षमता 7.8 गीगा वाट है। इसकी तुलना में अमेरिका में स्‍थापित क्षमता 25 गीगा वाट है।

भारत का परिदृश्‍य चमकदार

एनर्जी कंसल्‍टैंसी फर्म ब्रिज टू इंडिया ने अपनी नई इंडिया सोलर हैंडबुक में कहा है कि तेजी से गिरती कीमतों और सीओपी21 के बाद बड़े पर्यावरण एजेंडा से भारत में सोलर एनर्जी का भविष्‍य उज्‍जवल दिखाई पड़ रहा है। मरकॉम कैपिटल ग्रुप ने अपनी इंडिया सोलर क्‍वाटर्ली मार्केट अपडेट में कहा है कि अभी सोलर डेवलपमेंट पाइपलाइन 22 गीगा वाट की है, जिसमें 13 गीगा वाट से अधिक के प्रोजेक्‍ट निर्माणाधीन हैं।

ब्रिज टू इंडिया ने कहा है कि फोटोवोल्टिक उपकरणों में वैश्विक आपूर्ति बढ़ने से फायदा होगा। हालिया बाजार रिपोर्ट के मुताबिक चीन में पीवी मॉडयूल निर्माण में ओवरसप्‍लाई की स्थिति बन रही है, विशेषकर 2016 के दूसरी छमाही में, और इससे बाजार में कीमतों में सुधार आने की उम्‍मीद बढ़ गई है। इससे चीन की इंडस्‍ट्री पर कीमतें घटाने का दबाव बनेगा।

मोर्गन स्‍टैनली ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि कई प्रमुख सोलर मैन्‍युफैक्‍चरर्स ने 2017 तक अपनी उत्‍पादन क्षमता में विस्‍तार करने की घोषणा की है। वहीं इसी समय चीन में मांग 2016 के शेष समय में घटने की पूर्ण संभावना है। ब्रिज टू इंडिया का कहना है कि 2016 की चौथी तिमाही में मॉडयूल की कीमतों में पहले ही पहली छमाही की तुलना में 10 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। कीमतों में यह गिरावट भारतीय सोलर बाजार के लिए सही समय पर आई है, क्‍योंकि 2017 के पहले तीन माह में 2 गीगा वाट की नई सोलर क्षमता जुड़ने की उम्‍मीद की जा रही है।

2030 तक 42 अरब डॉलर का करना होगा निर्यात

केपीएमजी ने अपनी एक रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा है निम्‍न पूंजी लागत, वैश्विक मंदी और सक्रिय नीति पर जोर वाली परिस्थितियां भारत की घरेलू मैन्‍युफैक्‍चरिंग क्षमता को मजबूत करने के अनुकूल नहीं हैं। मैन्‍युफैक्‍चरिंग के अभाव में भारत को 2030 तक 100 गीगा वाट स्‍थापित क्षमता हासिल करने के लिए 42 अरब डॉलर के निर्यात की आवश्‍यकता होगी। ब्रिज टू इंडिया ने अपनी इंडस्‍ट्री अपडेट में कहा है कि चीन के सप्‍लायर्स के लिए भारत एक प्रमुख वृद्धि वाला बाजार बनकर उभरा है। चीन के सस्ते आयात ने स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को अप्रतिस्पर्धी बना दिया है। ब्रिज टू इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वृहद मुद्दों जैसे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, इंफ्रास्‍ट्रक्‍च, कॉस्‍ट ऑफ पावर, कॉस्‍ट ऑफ फाइनेंस और रॉ मैटेरियल के लिए लोकल ईकोसिस्‍टम को सुलझाए बिना भारत में घरेलू मैन्‍युफैक्‍चरिंग को बढ़ावा देना बहुत मुश्किल है। इंडियन सोलर मैन्‍युफैक्‍चरर्स एसोसिएशन ने सरकार से चीन से होने वाले आयात पर सेफगार्ड और एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने की मांग की है।

घरेलू मजबूती

सिडनी के इंस्‍टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्‍स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस के डायरेक्‍टर टिम बकले का कहना है कि हालांकि, भारत में चीजों में सुधार हो रहा है। ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल दुनिया के प्रमुख मॉडयूल मैन्‍युफैक्‍चरर्स जैसे ट्रीना सोलर, कैनेडियन सोलर, हैनवाह सोलर और फर्स्‍ट सोलर को भारत में ज्‍वॉइंट वेंचर के जरिये नई आधुनिक निर्माण इकाई स्‍थापित करने के लिए प्रोत्‍साहित कर रहे हैं।

वसुधा फाउंडेखन के सीईओ श्रीनिवास कृष्‍णास्‍वामी कहते हैं कि स्‍थानीय उद्योग हाल ही में हुई मांग में वृद्धि को पूरा करने में समर्थ नहीं है इसलिए चीन से आयात अपरिहार्य है। दुर्भाग्‍य से घरेलू मैन्‍युफैक्‍चरिंग इंडस्‍ट्री के पास क्षमता और गहराई का अभाव है। यदि सोलर सेक्‍टर में लगातार वृद्धि बनी रहती है तो हम उम्‍मीद करते हैं कि मैन्‍युफैक्‍चरिंग में भी निवेश को प्रोत्‍साहन मिलेगा।

ब्रिज टू इंडिया के एसोसिएट डायरेक्‍टर जसमीत खुराना कहते हैं कि भारतीय सोलर एनर्जी सेक्‍टर में अप्रत्‍याशित वृद्धि होगी और इसकी जरूरतों को आयात के जरिये पूरा किया जाएगा, अधिकांश चीन से।

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