नई दिल्ली। भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की विकास दर वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में घटकर 5.7 प्रतिशत रही है। यह इसका तीन साल का निचला स्तर है। विनिर्माण गतिविधियों में सुस्ती के बीच लगातार तीसरी तिमाही में नोटबंदी का असर दिखाई दिया।
गुरुवार को केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 की समान तिमाही में जीडीपी की विकास दर 7.9 प्रतिशत रिकॉर्ड की गई थी। वहीं इससे पहले जनवरी-मार्च 2017 तिमाही में यह विकास दर 6.1 प्रतिशत रही थी।
ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि नोटबंदी का असर अब खत्म हो चुका है और पहली तिमाही में विकास दर में सुधार होगा। लेकिन विकास दर में और गिरावट आने से यह लगता है कि अर्थव्यवस्था पर से अभी नोटबंदी का प्रभाव पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और इस पर जीएसटी का भी बुरा असर पड़ा है।
वित्त वर्ष 2016-17 में भारत की जीडीपी विकास दर 7.1 प्रतिशत दर्ज की गई थी। विकास दर में इस गिरावट के बाद अब भारत के सबसे तेजी से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था का तमगा छिनने का खतरा भी बढ़ गया है।
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