भारत की नोटबंदी से नेपाल की इकोनॉमी को हुआ बड़ा नुकसान, रेटिंग एजेंसी ने घटाया विकास दर अनुमान
भारत की नोटबंदी से नेपाल की इकोनॉमी की रफ्तार कम हो गई है और व्यापार को जबरदस्त झटका लगा है। रेटिंग एजेंसी बीएमआई रिसर्च ने बुधवार को इस बात की जानकारी दी।
नई दिल्ली। भारत की सरकार द्वारा 8 नवंबर को लागू किए गए नोटबंदी के फैसले का असर भारत के बाद नेपाल पर सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है। इस फैसले से नेपाल की इकोनॉमी की रफ्तार कम हो गई है और व्यापार को जबरदस्त झटका लगा है। दुनिया की प्रमुख रेटिंग एजेंसी फिच की ग्रुप कंपनी बीएमआई रिसर्च ने बुधवार को इस बात की जानकारी दी। बीएमआई ने नेपाल की इकॉनमी के लिए लगाए गए अपने पहले के अनुमान को कम कर दिया है।
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नोटबंदी का नेपाल हो रहा है निगेटिव असर
- भारत में नोटबंदी के बाद नेपाल ने अपने यहां भारतीय करंसी को बैन कर दिया है।
- नेपाल राष्ट्र बैंक का कहना है कि जब तक उसे भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से नए नोटों के बारे में आधिकारिक संचार नहीं मिल जाता, तब तक भारतीय करंसी पर बैन रहेगा।
- नेपाल राष्ट्र बैंक ने कहा, जब तक हमें आधिकारिक तौर पर सूचित नहीं किया जाता, हम नए भारतीय नोटों को स्वीकार नहीं करेंगे।
- ऐसा होने की वजह से भारतीय सीमा पर अनौपचारिक तरीके से व्यापार कर रहे हजारों नेपाली प्रभावित हुए हैं।
- ना तो उन्हें पैसा मिल पा रहा है और ना ही वे पेमेंट कर पा रहे हैं।
- आपको बता दें कि नेपाल की अर्थव्यवस्था करीब 21 अरब डॉलर (करीब 1416 अरब रुपए) की है और वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान यह 0.8 प्रतिशत से भी कम की विकास दर से जूझ रही थी।
- नेपाल में 2015 में आए विनाशकारी भूकंप का इकॉनमी पर बहुत बुरा असर पड़ा था।
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रेटिंग एजेंसी ने घटाया विकास दर अनुमान
- दुनिया की प्रमुख रेटिंग एजेंसी फिच की ग्रुप कंपनी बीएमआई रिसर्च ने बुधवार को इस बात की जानकारी दी।
- बीएमआई ने नेपाल की इकॉनमी के लिए लगाए गए अपने पहले के अनुमान को कम कर दिया है।
- पहले जहां इसने नेपाल की इकॉनमी की विकास दर का अनुमान 2.5 प्रतिशत लगाया था वहीं अब इसे 2.2 प्रतिशत कर दिया गया है।
- यह अनुमान इस वित्त वर्ष से लेकर जुलाई 2017 तक के लिए है।
- बीएमआई रिसर्च ने इसके पीछे भारत में नोटबंदी के फैसले को प्रमुख वजह बताया है।
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नेपाल की अर्थव्यवस्था में भारत का रोल है अहम
- बीएमआई की एक रिपोर्ट में कहा गया, भारत से आने वाले फंड में खलल की वजह से पुनर्निर्माण संबंधी कार्यों पर असर हो सकता है।
- ऐसा इसलिए क्योंकि व्यापार, नौकरी और सहायता आदि के लिए नेपाल की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक भारत पर निर्भर है।
टूरिज्म इंडस्ट्री को लगा तगड़ा झटका
- इसके अलावा नेपाल आने वाले भारतीय पर्यटकों की तादाद भी काफी कम हो गई है।
- कैश की कमी की वजह से ऐसा हुआ है। हर साल नेपाल में तकरीबन 8 लाख विदेशी पर्यटक आते हैं और इनमें भारतीयों की तादाद करीब एक-चौथाई होती है।
- भारत में काम कर रहे नेपालियों द्वारा अपने देश भेजे जाने वाले पैसे में भी गिरावट आई है।
- आपको बता दें कि 2016 में इन नेपालियों ने अपने देश करीब 64 करोड़ डॉलर (करीब 43 अरब रुपये) भेजे थे। यह रकम नेपाल के सकल घरेलू उत्पाद का 2.6 प्रतिशत था।