सबको रोजगार का मोदी सपना कैसे होगा पूरा, गिरते एक्सपोर्ट ने तीन महीने में ली 70,000 लोगों की नौकरी
नरेंद्र मोदी की सरकार, जो देश में सबको रोजगार समेत कई बड़े-बड़े वादों की बदौलत सत्ता में आई थी, उसके लिए एक्सपोर्ट से जुड़ी यह खबर चिंताजनक है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार, जो देश में सबको रोजगार समेत कई बड़े-बड़े वादों की बदौलत सत्ता में आई थी, उसके लिए यह खबर चिंता वाली हो सकती है। भारत की एक्सपोर्ट ग्रोथ में सुधार न होने की वजह से बड़ी मात्रा में लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है। पिछले 19 महीनों से लगातार घट रहे एक्सपोर्ट में कोई सुधार के संकेत न मिलने की वजह से एशिया की इस तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में रोजगार की स्थिति बहुत ही खराब होती जा रही है।
जॉब मार्केट की स्थिति यहां बहुत ही खराब है। वित्त वर्ष 2008-09, 2010-11 और 2012-13 की तुलना में वित्त वर्ष 2014-15 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत में सबसे कम जॉब ग्रोथ दर्ज की गई है। लगातार गिरते एक्सपोर्ट ने इस समस्या को और बड़ा बना दिया है।
औद्योगिक संगठन एसोचैम के मुताबिक भारत के गिरते एक्सपोर्ट की वजह से वित्त वर्ष 2014-15 की दूसरी तिमाही में 70,000 लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है। अधिकांश नौकरी ऐसे लोगों की गई हैं, जो कॉन्ट्रैक्ट आधार पर थे। यह सर्वे एसोचैम ने रसिर्च इंस्टीट्यूटी थॉट आर्बीट्रेज के साथ संयुक्तरूप से किया था।
- एसोचैम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हालांकि कॉन्ट्रैक्चुअल जॉब गए हैं, फिर भी रेगूलर जॉब इस नुकसान की भरपाई नहीं कर सकते। सबसे ज्यादा असर टेक्सटाइल सेक्टर में हुआ है। एसोचैम की 450,000 भारतीय बिजनेस इकाइयां सदस्य हैं।
- भारत की एक्सपोर्ट ग्रोथ पिछले दो सालों से निगेटिव है। इसका एक कारण ग्लोबल डिमांड का कमजोर होना भी है।
- भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी कमजोर बना हुआ है। मैन्युफैक्चरिंग में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट अभी भी नहीं हो रहा है, जिसका मतलब है कि एक्सपोर्टर्स को फंड के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एक्सपोर्टर्स की फंडिंग कॉस्ट बहुत ज्यादा है।
- इन सब वजह से जॉब मार्केट पर भी असर पड़ रहा है क्योंकि उन सेक्टर्स में एक्सपोर्ट ज्यादा घटा है, जो लेबर इनटेंसिव हैं, जैसे इंजीनियरिंग गुड्स, लेदर, टेक्सटाइल्स और रबड़ आदि।
- 14 लेबर इनटेंसिव सेक्टर में से आठ का एक्सपोर्ट वित्त वर्ष 2015-16 में घटा है। इससे पिछले वर्ष इन सेक्टर में जॉब ग्रोथ पिछले सात साल में सबसे कम रही है।
पिछले कुछ सालों में भारत की एक्सपोर्ट ग्रोथ इस प्रकार रही है:
एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल डीएस रावत का कहना है कि
भारतीय अर्थव्यवस्था को भीतर से देखने की जरूरत है, घरेलू इकोनॉमी भारत की ग्रोथ को शुरू कर सकती है। यह तभी संभव है यदि इकोनॉमी के भीतर अतिरिक्त मांग पैदा हो। एम्प्लॉयमेंट जनरेशन का प्रमुख कारक है अतिरिक्त मांग को पैदा करना। अधिक रोजगार का मतलब है कि लोगों के हाथ में खर्च योग्य अधिक धन हो और उसी समय सभी तरह की वस्तुओं और सेवाओं के लिए मांग अधिक बढ़े।
2050 तक भारत की युवा आबादी 1 अरब से ज्यादा होगी, जो एशिया महाद्वीप में सबसे बड़ी संख्या होगी। ऐसे में रोजगार के नए अवसर पैदा करना जरूरी है, यह स्पष्ट है।