All is not Well: आंकड़ों में दिखता विकास, जमीनी हकीकत के लिए जरूरी कई प्रयास!
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ 7.4 फीसदी रही, जो कि विश्लेषकों के अनुमान के आंकड़ों और चीन की GDP रफ्तार (6.9%) से ज्यादा है।
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ 7.4 फीसदी रही, जो कि विश्लेषकों के अनुमान और चीन की GDP रफ्तार (6.9%) से ज्यादा है। 30 सितंबर को समाप्त तिमाही के दौरान घरेलू मांग में सुधार और मैन्युफैक्चरिंग में तेजी के कारण देश की आर्थिक रफ्तार बढ़ी है। लेकिन, इससे हमें खुश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जीडीपी के अच्छे आंकड़ों का मतलब यह कतई नहीं है कि सभी सेक्टर में सुधार हुआ है। विश्लेषक कमजोर ग्रामीण मांग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में मंदी को लेकर चिंता जता रहे हैं। इन क्षेत्रों में सुधार के लिए सरकार को कई बड़े कदम उठाने होंगे। देश के बड़े अर्थशास्त्रियों की नजर से देखिए नए जीडीपी के आंकड़े और उनके पीछे की तस्वरी।
क्षमता के अनुसार नहीं हो रहा विकास
एचडीएफसी बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरुआ ने कहा कि हम अपनी क्षमता के अनुसार अभी विकास नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि GDP के आकड़े हमारी उम्मीद के मुताबिक आए हैं, लेकिन हम अभी भी वर्तमान संदर्भ में इन अच्छे आंकड़ों से जूझ रहे हैं। ग्लोबल इकोनॉमी में सुधार नहीं देखने को मिल रहा है। वहीं, सरकार अच्छा काम कर रही है, लेकिन परेशानी यह है कि पॉलिसी रिफॉर्म का असर लंबे समय में दिखाई देगा।
कंस्ट्रक्शन सेक्टर को नहीं मिल रहा बूस्ट
एक्सिस बैंक की चीफ इकोनॉमिस्ट सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि कंस्ट्रक्शन सेक्टर को लेकर चिंताएं अभी भी बरकरार हैं। उन्होंने कहा कि कैपिटल गुड्स, स्पेयर पार्ट, कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स की ओर से बढ़ी मांग के कारण मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ देखने को मिल रही है। इनकों बनाने वाली कंपनियों को पावर और कंस्ट्रक्शन सेक्टर के लिए सरकारी ठेकों से नए ऑर्डर मिल रहे हैं। लेकिन कंस्ट्रक्शन सेक्टर मंदी की मार झेल रहा है।
एक्सपोर्ट को बढ़ाना है चुनौती
इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ दिल्ली यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर प्रवाकर साहू का कहना है कि जीडीपी ग्रोथ रेट बहुत उत्साहजनक नहीं है, लेकिन अच्छा है। साहू के मुताबिक पिछले 12 महीने से एक्सपोर्ट ग्रोथ शून्य है, ऐसे मे दूसरी तिमाही में 7.4 फीसदी अच्छा नवंबर है। पिछले साल तक एक्सपोर्ट जीडीपी के एक चौथाई के आसपास रहता था, जो कि पिछले साल 12 फीसदी के आसपास रहा है। लेकिन पिछले 12 महीने से एक्सपोर्ट ग्रोथ शून्य के आसपास बना हुआ है, जिसकी भरपाई घरेलू मांग से हो रही है। इसलिए ग्रोथ के आंकड़ों से खुश होने की जरूरत नहीं है।
कॉरपोरेट सेक्टर की हालत खराब
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के चीफ इकोनॉमिस्ट और सीनियर डायरेक्टर देवेंद्र कुमार पंत का कहना है कि कॉरपोरेट सेक्टर की हालत अच्छी नहीं है। हम मैन्युफैक्चरिंग और फाइनेंस सेक्टर में अच्छा कर रहे हैं, लेकिन कंस्ट्रक्शन और डिफेंस जैसे सेक्टर में काम करने की जरूरत है। देवेंद्र कुमार ने कहा कि कॉरपोरेट और ऐसे सेक्टर जिनमें ग्रोथ क्षमता है वह संघर्ष कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की कंपनियों की हालत खराब है और बैंकों को सहारा देने के लिए कैपिटल इनफ्यूजन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से पटरी में लौटने में अभी एक से डेढ़ साल का समय लग सकता है।
Source: Quartz India