नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत के फिस्कल लक्ष्यों को उचित करार दिया है। आईएमएफ के मुताबिक अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाना सही तरीका है। आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा, हमारा मानना है कि भारत ने जिन वित्तीय उपायों को अपनाया है, वह उचित है और उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विवेकपूर्ण कदम उठाया गया है। मौजूदा परिस्थितियों में यह बिल्कुल सही कदम है।
फिस्कल डेफिसिट को काबू पाने में कामयाब रही सरकार
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 के बजट में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के समक्ष 3.5 फीसदी के सीमित दायरे में रखा है। उनका यह कदम पहले से तय रास्ते पर है। इसके साथ ही उन्होंने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए सार्वजनिक निवेश बढ़ाने और निराशा के दौर से गुजर रही कृषि अर्थव्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र पर ध्यान दिया है। लेगार्ड ने कहा, प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में किए जा रहे निवेश को भी हम काफी महत्व देते हैं, क्योंकि हमारा मानना है कि अल्पकाल में वृद्धि तेज करने के लिए यह सही तरीका है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के निवेश को अल्पकालिक प्रोत्साहन कहा जा सकता है और इससे देश में मध्यम से लेकर लंबी अवधि की उत्पादकता में सुधार लाया जा सकता है।
भारत का कारोबारी मॉडल सही
आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि भारत तेल और गैस का बड़ा आयातक देश है। ऐसे समय जब दुनिया में तेल और गैस के दाम काफी नीचे चल रहे हैं, भारत लागत में आई कमी से इंफ्रास्ट्रक्चर की प्रोजेक्ट्स का फाइनेंसिंग कर रहा है। आईएमएफ के लिहाज से यह सही दिशा में किया जा रहा काम है। उन्होंने कहा कि जिस देश की जनसंख्या बढ़ रही है, फिलहाल उसकी ग्रोथ के रास्ते में कोई अड़चन नही है और उसका कारोबारी मॉडल काफी ठोस दिख रहा है। मेरा आपको यही संदेश है कि यहां ग्रोथ की संभावना है, यहां जनसंख्या बढ़ रही है, यहां बड़ा बाजार है, सुधारों को लेकर पक्का इरादा है, प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ता देश है और ऐसी अर्थव्यवस्था है जो वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ रही है उसमें सृजनात्मकता है।
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