अपने कर्मचारियों का बैंक कर रहे हैं स्टिंग, नकली ग्राहक बनकर पकड़ रहे है मनी लॉन्ड्रिंग के मामले
बैंकों ने नोटबंदी के बाद मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को लेकर कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। बैंकों ने ग्रामीण ब्रांचों में नकली ग्राहक भेजकर स्टिंग किया है।
नई दिल्ली। देश के बड़े बैंकों ने नोटबंदी के बाद मनी लॉन्ड्रिंग (ब्लैकमनी को व्हाइट में बदलना) के मामलों को लेकर कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। पिछले कुछ दिनों में बैंकों ने अपनी ग्रामीण ब्रांचों में स्टिंग ऑपरेशन यानी नकली कस्टमर भेजकर कई कर्मचारियों को रंगे हाथ पकड़ा है। साथ ही, बैंक फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स का सहारा लेकर भी इस तरह के कर्मचारियों को पकड़ रहे है। हालांकि, अभी तक यह नहीं पता लगा है कि जांच में कितने कर्मचारी पकड़े गए और उनके खिलाफ क्या एक्शन लिया गया है।
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बैंक कर रहे है स्टिंग ऑपरेशंस
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक बड़े बैंक ने अपनी ग्रामीण इलाकों की ब्रांच में एक शख्स पिछले महीने ग्राहक बनकर भेजा।
- वह 5 लाख रुपए के पुराने नोट के बदले नए नोट चाहता था और इसके लिए वह 50 फीसदी कमीशन देने को तैयार था।
- एक बैंक कर्मचारी उससे डील करने को तैयार हो गया, लेकिन उसे पता नहीं था कि बैंक ने उसके जैसे कर्मचारी से छुटकारा पाने के लिए खुद ही यह जाल बुना था।
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शिकायत मिलने के बाद शुरू की कार्रवाई
- मल्टिनेशनल सहित निजी क्षेत्र के बैंक ऐसे बेइमान एंप्लॉयीज को रोकने की कोशिश कर रहे थे क्योंकि 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद उनके पास ऐसी कई शिकायतें आई थीं।
- इन बैंकों ने ऐसे मामलों और गलत कर्मचारियों को पकड़ने के लिए फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स को ग्राहक बनाकर भेजा। वे कर्मचारियों के दूसरे वेरिफिकेशन के साथ इसका भी पता लगा रहे हैं कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला तो दर्ज नहीं है।
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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भी मारे थे छापे
- बैंक कर्मचारियों के इस खेल की खबर आने के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कई जगहों पर छापे मारे थे, जिनमें बड़ी मात्रा में नए नोट पकड़े गए थे।
- बैंकों की ब्रांच और कर्मचारियों के यहां भी छापे मारे गए थे।
- इसमें कई बैंक कर्मचारियों को गिरफ्तार और उसके बाद उन्हें नौकरी से हटा दिया गया।
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बैंक कर रहे है फॉरेंसिक एक्सपर्ट हायर
- एक फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने बताया, बैंक जाल बिछा रहे थे और वे अपने ही कर्मचारियों के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन कर रहे थे। देश के कुछ बड़े प्राइवेट बैंकों ने भी ऐसा किया। इसके लिए उन्होंने डेलॉयट, ईवाई, पीडब्ल्यूसी और केपीएमजी के फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स हायर किए।
- बैंकों ने ऐसे मामले की जांच में विशेषज्ञता रखने वाली और बैकग्राउंड का पता लगाने वाली फर्स्ट अडवांटेज जैसी कंपनियों की भी मदद ली।
- एक्सपर्ट्स ने बताया कि बैंक एंप्लॉयीज की जांच करने के लिए ऐनालिटिक्स की मदद ले रहे हैं।
- वे अचानक किसी एंप्लॉयी को चुनते हैं और फिर उसकी जांच की जाती है।