नई दिल्ली। भारत के रियल एस्टेट सेक्टर को मंदी से बाहर निकलने में अभी काफी वक्त लगेगा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (गुड़गांव, फरीदाबाद, नोएडा आदि), मुंबई, बेंगलुरु और कई अन्य शहरों में अनसोल्ड इनवेंट्री बढ़ती ही जा रही है। बिल्डर्स द्वारा पजेशन देने में देरी करने के साथ इस इनवेंट्री को खत्म करने में तीन से पांच साल तक का समय लग सकता है। घर खरीदार अब बिल्डर्स से ज्यादा स्मार्ट हो गए हैं, वह लंबी देरी के साथ ही कंस्ट्रक्शन की खराब क्वालिटी और कारपेट एरिया में होने वाले खेल को अच्छी तरह समझ चुके हैं।
इन्हीं सब वजहों से अब खरीदारों की दिलचस्पी अंडर कंस्ट्रक्शन अपार्टमेंट के बजाये रेडी-टू-मूव-इन प्रॉपर्टी को खरीदने में लगातार बढ़ रही है। यह बात मैजिकब्रिक्स डॉट कॉम की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है। ऑनलाइन प्रॉपर्टी पोर्टल मैजिकब्रिक्स डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 14 शहरों में से 9 शहर में रेडी-टू-मूव प्रॉपर्टी की डिमांड बढ़ी है। रिपोर्ट में कहा गया कि बिल्डर फ्लैट का पजेशन देने में तीन से पांच वर्ष की देरी कर रहे हैं। प्रोजेक्ट में देरी की वजह से उपभोक्ताओं पर दोहरी मार पड़ती है एक तरह उन्हें किराया देना पड़ता है तो दूसरी ओर ईएमआई भी। यही वजह है कि लोग अब रेडी-टू-मूव घर चाहते हैं।
नई दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद और हैदराबाद को छोड़कर देश के ज्यादातर शहरों में अंडर-कंस्ट्रक्शन के मुकाबले रेडी-टू-मूव-इन प्रॉपर्टी की डिमांड अधिक है।
Source: Quartz
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