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कोरोना वायरस की वजह से भारत का कपड़ा उद्योग प्रभावित, चीन को रूई निर्यात ठप

कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते भारत से चीन को रूई और धागे का निर्यात ठप पड़ गया है और कपड़ा उद्योग में इस्तेमाल होने वाला रासायनिक पदार्थ व एसेसरीज आइटम का आयात नहीं हो रहा है, जिससे घरेलू कपड़ा उद्योग पर असर पड़ा है।

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते भारत से चीन को रूई और धागे का निर्यात ठप पड़ गया है और कपड़ा उद्योग में इस्तेमाल होने वाला रासायनिक पदार्थ व एसेसरीज आइटम का आयात नहीं हो रहा है, जिससे घरेलू कपड़ा उद्योग पर असर पड़ा है। कारोबारी बताते हैं कि चीन से केमिकल्स और एसेसरीज आइटम का आयात नहीं होने से घरेलू कपड़ा उद्योग की लागत बढ़ गई है, जिससे आने वाले दिनों कपड़ा महंगा हो सकता है।

कान्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (सीआईटीआई) के पूर्व अध्यक्ष संजय जैन ने आईएएनएस को बताया कि घरेलू कपड़ा उद्योग के प्रोसेसिंग खर्च में 10 फीसदी का इजाफा हो जाएगा जिससे आने वाले दिनों के कपड़े का दाम बढ़ जाएगा। कारोबारियों के अनुसार, घरेलू कपड़ा उद्योग की लागत खर्च बढ़ने से तैयार कपड़े व परिधानों के दाम में इजाफा होगा जिससे भारतीय उत्पादों के निर्यात पर आने वाले दिनों में असर पड़ सकता है।

भारत हालांकि चीन को तैयार कपड़ा निर्यात नहीं करता है, लेकिन चीन भारतीय रूई व धागों का बड़ा खरीदार है, लेकिन चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप गहराने से इन उत्पादों का निर्यात ठप पड़ गया है। हालांकि वर्धमान टेक्सटाइल्स के वाइस प्रेसीडेंट ललित महाजन का कहना है भारतीय कॉटन एवं टेक्सटाइल्स उद्योग पर चीन में फैले कोरोना वायरस का प्रभाव चीन में फैले कोरोना वायरस का अल्पावधि में नकारात्मक प्रभाव रहेगा, लेकिन लंबी अवधि में इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है।

उन्होंने कहा कि अल्पावधि में कारोना वायरस नकारात्मक प्रभाव इसलिए रहेगा, क्योंकि चीन को रूई और धागों का निर्यात नहीं हो पा रहा है। चीन दुनिया में रूई का बड़ा खरीददार है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण वहां परिवहन व उद्योग-धंधों पर असर पड़ने के कारण रूई का आयात नहीं हो रही है जिसके कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रूई के दाम में गिरावट आई है।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रूई का भाव बीते एक महीने में चार फीसदी से ज्यादा टूटा है, हालांकि भारतीय बाजार में रूई के दाम में तकरीबन दो फीसदी की गिरावट आई है। कारोबारी बताते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय रूई की मांग इसलिए ज्यादा होती है कि वह अन्य देशों की रूई से सस्ती है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रूई की कीमत घटने से भारतीय रूई की मांग में कमी आ सकती है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गणत्रा ने हाल ही में आईएएनएस से बातचीत में बताया था कि चालू कॉटन सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में भारत ने चार लाख गांठ रूई चीन को निर्यात किया है और फरवरी में पांच लाख गांठ और निर्यात होने की उम्मीद है।

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