मुश्किल में हैं भारतीय स्टार्टअप्स, कर्मचारियों को आकर्षित करने के लिए दे रहें हैं भारी-भरकम सैलरी
स्टार्टअप्स ईकोसिस्टम में कई बदलाव आ रहे हैं, लेकिन यहां एक चीज है जो बिल्कुल नहीं बदल रही है, वह है भारी भरकम सैलरी पैकेज।
नई दिल्ली। भारतीय स्टार्टअप्स के लिए यह एक मुश्किल भरा साल है। इस साल जनवरी से अब तक कई शटडाउन और कर्मचारियों की छंटनी की खबरें आ चुकी हैं। स्टार्टअप ईकोसिस्टम में कई बदलाव आ रहे हैं, लेकिन यहां एक चीज है जो बिल्कुल नहीं बदल रही है, वह है भारी भरकम सैलरी पैकेज। बेहतर फंडिंग वाले टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स पिछले कुछ सालों से भारत के टॉप रिक्रूटर्स के लिस्ट में शामिल हैं।
कैम्पस प्लेसमेंट में इनका दबदबा है, वे बड़ी संख्या में कर्मचारियों की भर्ती कर रहे हैं और सालाना 50 लाख रुपए से लेकर 70 लाख रुपए के बीच भारी भरकम सैलरी पैकेज ऑफर कर रहे हैं। इतना ही नहीं ये स्टार्टअप्स अन्य इंडस्ट्री के अनुभवी लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए बहुत ज्यादा प्रीमियम भी दे रहे हैं। फ्लिपकार्ट और स्नैपडील दोनों ने ही सिलीकॉन वैली के पूर्व एग्जीक्यूटिव्स को 1 करोड़ रुपए से लेकर 5 करोड़ रुपए प्रति वर्ष की सैलरी पर हायर किया है।
हालांकि, भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम में कुछ लोगों ने इस अनुचित सैलरी के खिलाफ बोलना शुरू किया है। स्टार्टअप इन्वेस्टमेंट फर्म सीडफंड (Seedfund) के को-फाउंडर महेश मूर्ति ने 24 अगस्त को अपने फेसबुक पोस्ट में विफल टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स के पूर्व कर्मचारियों के रिज्यूमे के कुछ हिस्से शेयर किए हैं। यह सभी, अपने प्रोफाइल की परवाह किए बगैर भारी-भरकम सैलरी की इच्छा जता रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी द्वारा, जो कम अनुभवी है, एक बहुत बड़ी राशि सैलरी के रूप में मांगी जा रही है। स्टार्टअप्स के लिए, कोई सफलता हासिल करने के बाद ही पैसे की बात होनी चाहिए। यहां कुछ लोग ही हैं जो ऊंची सैलरी के हकदार हैं। मूर्ति ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यहां एक गड़बड़ है, इन्वेस्टर्स खुद ऊंची सैलरी के लिए पैसा दे रहे हैं, यह हास्यास्पद है।
इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक भारत में टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स के कुल खर्च का 50 से 70 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी में जा रहा है। र्स्टाटअप फाउंडर्स का कहना है कि यह जरूरी है क्योंकि एशिया की इस तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में क्वालिटी टैलेंट की कमी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 25 फीसदी इंजीनियर्स और 7 फीसदी मैनेजमेंट ग्रेजुएट ही रोजगार के लायक हैं।
टैलेंट को ही भारी सैलरी
दिल्ली का स्टार्टअप AdPushup बेहतल टैलेंट की समस्या से जूझ रहा है। तीन साल पुरानी इस कंपनी ने इस माह के शुरुआत में प्रोडक्ट मैनेजर को 35 लाख रुपए सालाना का पैकेज ऑफर दिया है। 20 साल के इस उम्मीदवार को चार साल का अनुभव है। AdPushup के को-फाउंडर अंकित ओबराय कहते हैं कि कोई भी कम सैलरी पर बातचीत के लिए तैयार नहीं है। फंडिंग की कमी और खराब सेंटीमेंट का असर सैलरी पर बिल्कुल नहीं है। रिक्रूटमेंट कंसल्टेंसी फर्म TeamLease के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट कुनाल सेन का कहना है कि यहां कई ऐसे स्टार्टअप्स हैं जो गलत कारणों से खबरों में हैं, लेकिन यहां अन्य कई ऐसे हैं जो अभी भी हाइरिंग कर रहे हैं और सही टैलेंट को बेहतर भुगतान करने के इच्छुक भी हैं।
विफल स्टार्टअप्स
अधिकांश स्टार्टअप्स सीनियर टीम सदस्यों को आईआईटी और आईआईएम से हायर करना चाहते हैं। असुरक्षित स्टार्टअप्स में कुछ बेहतर टेक्नोलॉजी और मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट से छात्रों को आकर्षित करने के लिए यह कंपनियां पारंपरिक सेक्टर जैसे फाइनेंस या इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी की तुलना में ज्यादा सैलरी पैकेज ऑफर कर रही हैं। कुछ कर्मचारियों के लिए अच्छे दिन नहीं रहे हैं। कठिन बिजनेस माहौल में कुछ प्रमुख भारतीय स्टार्टअप्स ने कैम्पस रिक्रूटमेंट में चयनित उम्मीदवारों की ज्वाईनिंग डेट छह माह के लिए आगे बढ़ा दी है। इनमें फ्लिपकार्ट, इनमोबी, होपस्कॉच, रोडरनर, क्लिक लैब्स और कार देखो आदि शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप आईआईटी ने अगले साल के प्लेसमेंट सीजन के लिए 31 कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है, जिनमें से अधिकांश स्टार्टअप्स हैं।