नई दिल्ली। देश में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में साल के पहले महीने यानी जनवरी में तेजी बनी रही। एक मासिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि नये कारोबारी ऑर्डरों में वृद्धि के चलते सेवा क्षेत्र की गतिविधियां तीन महीने में सबसे तेज रही। हालांकि, दिसंबर से गतिविधियों और रोजगार में तेजी रहने के बावजूद यह संबंधित दीर्घावधि के सर्वे के औसत से कम है। सर्वेक्षण के मुताबिक, निक्केइ सेवा कारोबार गतिविधि सूचकांक जनवरी में सुधरकर 51.7 रहा है, जो दिसंबर में 50.9 था। जनवरी में सूचकांक लगातार दूसरे महीने 50 के स्तर से ऊपर रहा। नवंबर में सूचकांक 48.5 पर था।
सर्वेक्षण करने वाली फर्म आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री और इस रिपोर्ट की लेखिका आशना दोढ़िया ने कहा कि जनवरी में देश के सेवा क्षेत्र में सुधार देखा गया है। जून 2017 के बाद यह सबसे मजबूत है। साथ ही मांग में भी सुधार देखा गया है।
भारतीय सेवा प्रदाताओं ने जनवरी में लगातार पांचवें महीने पिछले लंबित कार्यों तथा नए कारोबारी आर्डरों के मद्देनजर कार्यबल में विस्तार किया है। इसके अलावा, सितंबर के बाद से रोजगार सृजन की दर सबसे ज्यादा रही।
कीमत के मोर्चे पर दोढ़िया ने कहा कि सेवा क्षेत्र में इनपुट लागत मुद्रास्फीति ऐतिहासिक मानकों से कमजोर रही। हालांकि, सेवा प्रदाता लागत के बोझ का अधिक से अधिक अनुपात ग्राहको पर डालने में सक्षम थे।
दोढ़िया ने कहा कि रोजगार सृजन साढ़े छह साल में दूसरी बार सबसे ज्यादा मजबूत रहा, लेकिन कंपनियों को समय पर भुगतान के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कारोबार के लिए प्रमुख बाधा बना हुआ है और वहीं विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में सेवा क्षेत्र पिछड़ा रहा।
आगे चलकर देश की सेवा क्षेत्र की कंपनियां आशान्वित हैं। अगले 12 माह के दौरान गतिविधियों को लेकर वे आशान्वित हैं। इसके अलावा, विनिर्माण उत्पादन की वृद्धि दर दिसंबर के 60 महीने के उच्च स्तर से नीचे रही। निक्केई कंपोजिट इंडेक्स दिसंबर के 53 से गिरकर जनवरी में 52.5 पर रहा।
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