भारतीय मूर्तिकारों ने निकाला ड्रैगन का दम, बाजार से गायब हुईं चीनी मूर्तियां
भारतीय मूर्तिकारों ने इस बार ड्रैगन का दम निकाल दिया है। दिवाली के लिए सजे बाजारों से चीन से आयातित देवी देवताओं की मूर्तियां यानी गॉड फिगर गायब हैं।
नई दिल्ली। भारतीय मूर्तिकारों ने इस बार ड्रैगन का दम निकाल दिया है। दिवाली के लिए सजे बाजारों से चीन से आयातित देवी देवताओं की मूर्तियां यानी गॉड फिगर गायब हैं। वहीं बाजार में भारतीय मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई मूर्तियां छाई हुई हैं। पिछले कुछ साल से दिवाली पर देवी-देवताओं की मूर्तियों के बाजार पर चीनी सामान का दबदबा था। ग्राहक भी बेहतर फिनिशिंग और कम दामों वाली चीन से आयातित मूर्तियों की मांग करते थे, लेकिन इस बार हवा का रूख बदला दिखाई दे रहा है। ग्राहक चीनी माल के बजाय स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहा है।
राजधानी के प्रमुख थोक बाजार सदर बाजार के कारोबारियों का कहना है कि इस बार बाजार में चीन से आयातित गॉड फिगर की उपस्थिति काफी कम है। भारतीय कारीगरों ने अधिक आकर्षक और बेहतर फिनिशिंग वाली मूर्तियाों से बाजार को पाट दिया है जिससे ड्रैगन गायब हो गया है। सदर बाजार में पिछले कई दशक से गिफ्ट आइटम का कारोबार करने वाले स्टैंडर्ड ट्रेडिंग के सुरेंद्र बजाज बताते हैं, इस बार एक अच्छा रख दिखाई दे रहा है। कम से कम देवी देवताओं की मूर्तियों के बाजार से चीन पूरी तरह गायब है। ग्राहक भी भारतीय मूर्तियों की मांग कर रहे हैं।
तस्वीरों में देखिए चाइनीज Lights
Diwali lights
बजाज कहते हैं कि इस बार मुख्य रूप से बाजार में दिल्ली के पंखा रोड, बुराड़ी, सुल्तानपुरी, गाजीपुर तथा अन्य इलाकों से मूर्तियां आई हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश का मेरठ भी मूर्तियों का बड़ा केन्द्र है, जहां से मूर्तियां दिल्ली और आसपास के राज्यों में आती हैं। दिल्ली व्यापार संघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा बताते हैं कि चीन के विनिर्माता पहले भारतीय बाजार में आकर सर्वे करते हैं और उसके बाद वे सस्ते दामों पर अधिक आकर्षक उत्पाद पेश कर देते हैं।
- दिवाली पर मुख्य रूप से गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियों की मांग रहती है।
- इसके अलावा रामदरबार, हुनमान जी, ब्रह्मा-विष्णु-महेश, शिव-पार्वती, कृष्ण और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियों से भी बाजार पटे हैं।
- इन मूर्तियों की कीमत 100 रपये से शुरू होती है। बाजार में 5,000 रुपए तक की आकर्षक मूर्तियां उपलब्ध हैं।
- भारतीय मूर्तिकारों ने भी चीन की तकनीक व कला को समझ लिया है।
- अब वे चाइनीज विनिर्माताओं की टक्कर के उत्पाद पेश कर रहे हैं।
- इन मूर्तियों के बाजार पर चीन का हिस्सा 60-70 प्रतिशत तक पहुंच गया था, लेकिन इस बार यह सिर्फ 10 प्रतिशत तक रह गया है।
कनफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल कहते हैं कि चाइनीज उत्पादों के बहिष्कार के अभियान का असर दिख रहा है। अब ग्राहक भी चाहते हैं कि वे देश में बने उत्पादों से दिवाली पर घर की सजावट करें। खंडेलवाल के अनुसार, इस बार व्यापारी भी अधिक से अधिक भारतीय उत्पादों को बेचने में रूचि दिखा रहे हैं।