नई दिल्ली। अपने परिसर में मौजूद 1500 जलाशयों में नई जान फूंकने के भारतीय रेलवे के प्रयास रंग लाए। हैदराबाद जोन में स्थित ऐसे चार कुंओं में से प्रतिदिन 4.70 लाख लीटर पानी मिलने लगा है जिससे प्रतिमाह 22 लाख रुपए की बचत होगी।
जल संरक्षण योजना के लिए जिम्मेदार रेलवे मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि
पुनर्जीवन योजना का क्रियान्वयन रेलवे की जल नीति का हिस्सा है जिसके तहत रेल भूमि पर स्थित जलाशयों का संरक्षण और पुनर्जीवन शामिल है।
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सुरेश प्रभु ने जारी किया आदेश
- रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु ने सभी मंडलों, संभागों, उत्पादन इकाईयों, कार्यशालाओं और आरपीएफ से अपने अपने इलाकों में जलाशयों को संरक्षित और पुनर्जीवित करने के निर्देश दिए हैं।
- इसके अलावा जल उपभोग में कमी लाने के लिए नियमित जल लेखा परीक्षण के निर्देश भी दिए गए हैं। सर्वाधित जलाशय सियालदेह संभाग में हैं, इसके बाद खड़गपुर, हावड़ा, मुरादाबाद और आगरा का स्थान है।
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जलाशयों को पुनर्जीवन पर काम शुरू
- परिवहन क्षेत्र का दिग्गज रेलवे अपने परिसरों और देशभर में पटरियों के नजदीक स्थित जलाशयों को पुनर्जीवन देने की दिशा में काम कर रहा है।
- रेलवे द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के मुताबिक रेलवे की भूमि पर तलैया, बांध, जलाशयों, कुंओं और बावड़ियों के रूप में 1,561 जलाशय हैं। इनमें से कुछ पूरी तरह सूख चुके हैं, कुछ में थोड़ा-बहुत पानी है लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं हो रहा।
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