नई दिल्ली। राज्यों की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय रेलवे को राज्य सरकारों के साथ ज्वाइंट वेंचर कंपनियां बनाने की मंजूरी दे दी है। इसका मकसद रेल प्रोजेक्ट के तेजी से क्रियान्वयन के लिए संसाधन जुटाना है। विभिन्न राज्यों में रेल लाइनों की बढ़ती मांग तथा उनके क्रियान्वयन के लिए भारी धन की जरूरत को देखते हुए ज्वाइंट वेंचर कंपनियां प्रोजेक्ट की पहचान, भूमि अधिग्रहण और सरकार के वित्तपोषण के अतिरिक्त संभावित फंडिंग तथा निगरानी के लिए जिम्मेदार होंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ज्वाइंट वेंचर कंपनियों के गठन का फैसला किया गया। इसमें रेलवे और संबंधित राज्य सरकारों की इक्विटी भागीदारी होगी। प्रत्येक ज्वाइंट वेंचर की शुरुआती चुकता पूंजी करीब 100 करोड़ रुपए होगी। यह परियोजनाओं के हिसाब से होगी। प्रत्येक राज्य के लिए रेलवे की शुरुआती चुकता पूंजी 50 करोड़ रुपए होगी।
एक बयान में कहा गया है कि इसमें और धन या इक्विटी परियोजना की मंजूरी के बाद डाली जाएगी। किसी परियोजना विशेष के लिए भी स्पेशल पर्पज व्हीकल बनाया जा सकता है। इसमें अन्य शेयरधारकों जैसे बैंकों, बंदरगाहों, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम और खनन कंपनियों की इक्विटी हिस्सेदारी हो सकती है। ज्वाइंट वेंचर प्रक्रिया से रेल प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में राज्य सरकारों की अधिक भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी। यह दोनों स्तरों यानी वित्तीय भागीदारी के अलावा निर्णय लेने की प्रक्रिया में होगी। रेलवे का कहना है कि राज्य सरकारों के साथ भागीदारी हमेशा अनिवार्य रही है। पिछले रेल बजट में इसकी घोषणा की गई थी। रेलवे ने हाल में ज्वाइंट वेंचर कंपनियों के गठन के लिए केरल और आंध्र प्रदेश सरकार के साथ सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
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