भारतीय ग्रेजुएट्स बड़ी तादाद में कर रहे हैं ड्राइवर, चपरासी और मैकेनिक के पद के लिए अप्लाई : रिपोर्ट
देश के ग्रेजुएट्स के लिए व्हाइट-कॉलर जॉब पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। इसलिए, ज्यादातर युवा ब्लू-कॉलर जॉब की तलाश कर रहे हैं।
नई दिल्ली। देश में ग्रेजुएट्स के लिए व्हाइट-कॉलर जॉब पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। इसलिए यह देखा जा रहा है कि कॉलेज से ग्रेजुएट होने वाले ज्यादातर युवा ब्लू-कॉलर जॉब की तलाश कर रहे हैं। क्विकरजॉब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 40 फीसदी ऑफिस असिस्टेंट, ड्राइवर, बारटेंडर, चपरासी और मैकेनिक जैसी नौकरियां खेज रहे हैं। यह रिपोर्ट 70 लाख रजिस्टर्ड नौकरी ढूंढने वालों के प्रोफाइल विश्लेषण के आधार पर तैयार की गई है।
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रिपोर्ट में कहा गया है
जहां तक ग्रेजुएट्स की बात है तो डिमांड और सप्लाई में भारी अंतर है। बड़ी संख्या में ग्रेजुएट्स ब्लू कॉलर जॉब के लिए अप्लाई कर रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि ज्यादा नौकरियों के सृजन की कितनी सख्त जरूरत है।
रिपोर्ट में हैं चौंकाने वाली बातें
- सभी भारतीय ग्रेजुएट्स में स्पेशियलाइज्ड या खास नौकरियों के लायक कुशलता नहीं है।
- भारत में प्रत्येक वर्ष ग्रेजुएशन पास करने वाले 50 लाख युवाओं के कौशल के अनुसार पर्याप्त नौकरियां नहीं हैं।
- आंकड़ों के अनुसार, भारत के 80 फीसदी से अधिक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स नौकरी के लायक नहीं है।
- यही हाल पोस्ट ग्रेजुएट्स का है। MBA पास करने वाले लगभग 93 फीसदी युवा नौकरी के लिए फिट नहीं हैं।
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उत्तर प्रदेश में 19,000 ग्रेजुएट्स ने स्वीपर के पद के लिए किया था अप्लाई
- इसी साल जनवरी में यूपी के अमरोहा में स्वीपर पद के 114 वैकेंसीज के लिए लगभग 19,000 ग्रेजुएट्स ने किया था अप्लाई।
- आवेदन करने वाले कुछ अभ्यर्थी तो पीएचडी और MBA भी किए हुए थे।
- ग्रेजुएट्स को कुशल बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महात्वाकांक्षी योजना भी उस रफ्तार से काम नहीं कर रही है, जैसी कि जरूरत है।
- 2015 में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 17 लाख छात्रों को ट्रेनिंग दी गई। इनमें से सिर्फ 5 फीसदी को ही नौकरी मिली।
2015 में भारत में श्रमिक बहुल 8 क्षेत्रों में जॉब ग्रोथ सात साल के निम्नतम स्तर पर थी। इस नजरिए से देखें तो भारत में जहां नौकरियों की जरूरत है वहीं ग्रेजुएट्स को नौकरी के लिए तैयार करने की भी जरूरत है।