नई दिल्ली। हाल के वर्षों में निवेश के लिहाज से आकर्षक रही भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ती बाहरी और आंतरिक अनिश्चितता देखने को मिल सकती है। डच बैंक की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी के अनुसार अर्थव्यवस्था के मध्यम अवधि का परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है लेकिन हाल में पेश ताजा आंकड़ें कुछ हद तक निराश करते हैं।
हाल के वर्षों में देश में मुद्रास्फीति में कमी, रुपए की विनिमय दर में स्थिरता तथा राजकोषीय एवं चालू खाते के घाटे में सुधार देखने को मिला। वहीं फेडरल रिजर्व, चीन, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन में जनमत संग्रह तथा क्षेत्रीय भूराजनीति को लेकर चिंता के बीच कमजोर निर्यात मांग के साथ इस अवधि में बाह्य जोखिम अधिक बना रहा।
रिपोर्ट के मुताबिक, स्पष्ट रूप से इस वर्ष बाह्य जोखिम से कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है लेकिन यह माना जा रहा है कि कुछ घरेलू कारक मुखर हो सकते हैं। मानसून के संदर्भ में इसमें कहा गया है कि जून के मध्य तक बारिश सामान्य से 25 प्रतिशत कम रही। इसमें कहा गया है, अगर जल की कमी की स्थिति बनी रहती है, इससे वृद्धि प्रभावित हो सकती है, मुद्रास्फीति बढ़ सकती है तथा राजकोषीय स्थिति बिगड़ सकती है।
ड्यूश्च बैंक के अनुसार मुद्रास्फीति दबाव बढ़ने से रिजर्व बैंक मुश्किल स्थिति में होगा क्योंकि रिजर्व बैंक ने 2017 की शुरूआत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 5.0 प्रतिशत रहने का लक्ष्य रखा है और इसे हासिल करने के लिये नीतिगत दरों को बरकरार रखना होगा। इससे वृद्धि को गति देने के लिये नीतिगत दर में कटौती की बात कमजोर पड़ेगी।
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