भारतीय ड्रोन उद्योग का कारोबार 2026 तक 15,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद: सिंधिया
सरकार की कोशिश है कि भारत में ड्रोन बनाने वाली कंपनियां का कारोबार आने वाले तीन वर्षों में 900 करोड़ रुपये तक पहुंच जाए।
नई दिल्ली। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय ड्रोन उद्योग का कारोबार वर्ष 2026 तक 15,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। सिंधिया का यह बयान दरअसल सरकार द्वारा बुधवार को तीन वित्त वर्ष में 120 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ ड्रोन और ड्रोन के कलपुर्जों के लिए उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी देने के बाद आया है। केंद्र सरकार की तरफ से यह कदम 25 अगस्त को नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नये और उदार ड्रोन नियम, 2021 के बाद लिया गया है।
उड्डयन मंत्री ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ड्रोन नीति (नियम) और ड्रोन पीएलआई योजना के माध्यम से हमारा लक्ष्य है कि भारत में ड्रोन बनाने वाली कंपनियां का कारोबार आने वाले तीन वर्षों में 900 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएं। वर्तमान में भारतीय ड्रोन निर्माण कंपनियों का लगभग 80 करोड़ रुपये का कारोबार है।’’ सिंधिया ने कहा, ‘‘ड्रोन निर्माण क्षेत्र में ड्रोन के पुर्जे, सॉफ्टवेयर और सेवा की आपूर्ति सबसे महत्वपूर्ण है। इन तीनों क्षेत्रों को मिलाया जाए तो हमारा अनुमान है कि वर्ष 2026 तक भारतीय ड्रोन उद्योग का कारोबार 1.8 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। इसका मतलब है कि तब तक उद्योग का कुल कारोबार 12,000 से 15,000 करोड़ रुपये का होगा।’’उनके मुताबिक ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री सीधे तौर पर 10 हजार नौकरियां देंगी।
भारत सरकार फिलहाल इस दिशा में काम कर रही है कि आने वाले समय में देश में ड्रोन टैक्सी काम करने लगे। पिछले महीने ही ड्रोन को लेकर उदार नियम आने के बाद सिंधिया ने कहा था कि वह समय दूर नहीं है जब आप सड़कों पर उबर आदि की तरह हवा में ड्रोन नीति के तहत टैक्सियां देखेंगे। मुझे लगता है कि यह बहुत संभव है।" उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और बीसीएएस (नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो) एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। ताकि "शत्रु ड्रोन विरोधी तकनीक’’ को जल्दी विकसित और अपनाया जा सके। नागर विमानन मंत्रालय ने 25 अगस्त की एक अधिसूचना में देश में ड्रोन परिचालन के लिए भरे जाने वाले आवश्यक प्रपत्रों की संख्या 25 से घटा कर पांच कर दी और परिचालक से लिए जाने वाले शुल्क के प्रकारों को 72 से घटाकर चार कर दिया है।