नई दिल्ली। सरकार ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में उत्पादन क्षमता बढ़ाने का खाका आज पेश किया। इसके तहत मार्च 2018 तक 21,000 मेगावाट तक सौर एवं पवन ऊर्जा क्षमता जुटाने की नीलामी की जाएगी। अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में कम बोली की उल्टी नीलामी की सफलता के बाद यह रूपरेखा पेश की गयी है। बिजली एवं नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा कि मार्च 2018 तक तीसरे और चौथे चरण में 3,000 से 4,000 मेगावाट क्षमता की पवन ऊर्जा क्षमता की नीलामी की जाएगी। प्रत्येक चरण में 1500 से 2000 मेगावाट तक की क्षमता की परियोजनाएं लगाने के लिये नीलामी की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि सरकार इस साल पहले और दूसरे दौर में 2,000 मेगावाट क्षमता की पवन ऊर्जा परियोजनाएं लगाने को लेकर नीलामी की। साथ ही वर्ष 2022 तक 60,000 मेगावाट क्षमता की पवन ऊर्जा परियोजनाएं लगाने का लक्ष्य हासिल करने को लेकर 2018-19 और 2019-20 में 10,000-10,000 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं की नीलामी करने का फैसला किया। फिलहाल पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता 32,000 मेगावाट है।
वहीं सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सरकार की मार्च 2018 तक 17,000 मेगावाट क्षमता सृजित करने की योजना है। अब तक 3600 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं की नीलामी की गयी है। वर्ष 2022 तक 1,00,000 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं लगाने को लेकर केंद्र 2018-19 और 2019-20 में 30,000-30,000 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं के लिये नीलामी आयोजित करेगी। इनमें से ज्यादातर नीलामी के लिये भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) नोडल एजेंसी होगी। एक हजार मेगावाट क्षमता की पवन ऊर्जा परियोजनाओं की इस साल अक्तूबर में की गयी नीलामी में शुल्क 2.64 रुपये प्रति यूनिट तक आ गयी।
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