तेहरान। भारत ने ईरान के साथ आर्थिक व व्यापारिक क्षेत्र में संबंध बढ़ाने की योजना के तहत यहां एक तेल क्षेत्र के परिचालन का अधिकार मांगा है, ताकि यहां से कच्चे तेल का आयात बढ़ाया जा सके। ईरान पर अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक प्रतिबंध हटाए जाने के बाद दोनों देशों ने पारस्परिक व्यापारिक आर्थिक संबंधों के विस्तार के प्रयास तेज कर दिए हैं।
इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि भारत की सबसे बड़ी तेल कंपनी, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने ईरान के सामने प्रस्ताव रखा कि उसे खोजे जा चुके एक तेल क्षेत्र से कच्चे तेल के उत्पादन और परिचालन का अधिकार दिया जाए ताकि दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र का संबंध क्रेता-विक्रेता से ऊपर उठकर एक रणनीतिक भागीदारी के स्तर तक पहुंचे।
आईओसी ने कहा कि वह ईरान में जिस क्षेत्र का परिचालन करेगी उसका तेल वह भारत ले जा सकती है। आईओसी ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान ईरान से 12 लाख टन कच्चे तेल का आयात किया था। कंपनी चालू वित्त वर्ष में इसे कम से कम तीन गुना बढ़ाना चाहती है। प्रधानमंत्री मोदी ने अभी कल ही ईरान की दो दिन की यात्रा संपन्न की है। इसका लक्ष्य पारस्परिक वाणिज्यिक आर्थिक संबंध बढ़ाना है। मोदी की यह यात्रा ईरान पर से आर्थिक प्रतिबंधों के हटाने के कुछ ही महीनों बाद हुई है।
आईओसी के अलावा ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने ईरान में दो परियोजना क्षेत्रों की मांग की है। ईरान 16 क्षेत्रों की नीलामी जल्द करने वाला है। सार्वजनिक उपक्रम ओएनजीसी की विदेशी शाखा ओवीएल ने ईरान में जो तेल-क्षेत्र चाहे हैं वे फरजाद-बी अपतटीय क्षेत्र के अतिरिक्त हैं, जिसके विकास के अधिकार के संबंध में ईरान से वार्ता अग्रिम स्तर पर पहुंच गई है। ओवीएल ने 2008 में फारस की खाड़ी में फरजाद-बी तेल-क्षेत्र की खोज की थी। इस तेल क्षेत्र में अनुमनित 12,500 अरब घनफुट भंडार है। सूत्रों ने कहा कि ईरान ने अब तक भारतीय कंपनियों के प्रस्तावों का जवाब नहीं दिया है।
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