नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के म्युचुअल फंड उद्योग फीस आदि की सूचनाएं सार्वजनिक रूप से साझा करने के मामले में सबसे आगे हैं। मार्निंगस्टार की एक वैश्विक रिपोर्ट में फीस ओर फंड होल्डिंग जैसे विषयों की पारदर्शिता के साथ सूचनाएं सार्वजनिक करने के मामले में भारत और अमेरिका के म्युचुअल फंड उद्योग को शीर्ष स्तर का पाया गया है। निवेशकों के अनुभव पर आधारित मार्निगस्टार की ग्लोबल इन्वेस्ट एक्सपीरियंस शीर्षक अध्ययन रिपोर्ट में भारत और अमेरिका को शीर्ष स्तर पर रखा गया है। इसमें कहा गया है कि इन दोनों बाजारों में इस उद्योग में सूचना सार्वजनिक करने की परिपाटी सर्वोत्तम है। फर्म की यह छठी रिपोर्ट है। इसमें दुनिया के कुल 26 बाजारों का अध्ययन किया गया है। इसमें मॉर्निगस्टार इंडिया के निदेशक प्रबंधक अनुसंधान कौस्तुभ बेलापुरकर ने कहा कि ‘भारत में साझा निवेश कोषों के लिए सूचना प्रकाशन के कई नियम दुनिया के लिए आदर्श हैं।’
घरेलू फंड्स के लिए भले ही ये रिपोर्ट सकारात्मक हो लेकिन निवेशकों का म्यूचुअल फंड की योजनाओं से पैसे निकालने का सिलसिला जारी है। निवेशकों ने नवंबर महीने में मुनाफावसूली करते हुए इक्विटी योजनाओं से 30,760 करोड़ रुपये की निकासी की। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार इसके साथ म्यूचुअल फंड से शुद्ध रूप से निकासी चालू वर्ष 2020 में जनवरी से नवंबर के दौरान 28,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गयी है। पिछले कुछ महीनों से म्यूचुअल फंड से निकासी के बावजूद एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों) का पूंजी प्रवाह जारी रहने से बाजार में तेजी बनी हुई है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने चालू वर्ष में जनवरी से नवंबर के दौरान 1.08 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली। आंकड़े के अनुसार म्यूचुअल फंड ने नवंबर में इक्विटी योजनाओं से 30,760 करोड़ रुपये की निकासी की। इससे जून से नवंबर तक पूंजी निकासी 68,400 करोड़ रुपये पहुंच गयी। म्यूचुअल फंड से अक्टूबर में 14,492 करोड़ रुपये, सितंबर में 4,134 करोड़ रुपये, अगस्त में 9,213 करोड़ रुपये, जुलाई में 9,195 करोड़ रुपये और जून में 612 करोड़ रुपये निकाले गये थे। हालांकि निवेशकों ने जनवरी-मई के दौरान 40,200 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसमें से 30,285 करोड़ रुपये मार्च में डाले गए थे।
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