नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि सिंगापुर के साथ पूंजीगत लाभ कर प्रावधानों को लागू करने के लिए उसके साथ कर संधि पर फिर से बातचीत करनी होगी। मारीशस के साथ हाल में हुई संधि में पूंजीगत लाभ कर प्रावधानों को शामिल किया गया है। फिर से बातचीत के लिए कोई समयसीमा दिए बिना उन्होंने कहा, यह (सिंगापुर) एक अलग संप्रभु देश है, मारीशस के साथ संधि वास्तव में स्वत: अन्य देशों पर लागू नहीं होती। इन सिद्धांतों को लागू किया जाएगा लेकिन इसे फिर से बातचीत की प्रक्रिया के जरिए लागू किया जाएगा।
इंडियन वुमन प्रेस कोर में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि, यह प्रक्रिया देर-सबेर प्रक्रिया शुरू होगी और उसके जल्द पूरा होने की उम्मीद है। भारत ने 10 मई को मारीशस के साथ 34 साल पुरानी कर संधि में संशोधन किया। एक दशक की मशक्कत के बाद संधि में संशोधन किया गया जिसमें भारत अगले अप्रैल से मारीशस के रास्ते शेयरों में होने वाले निवेश पर पूंजी लाभ कर लगाएगा। मारीशस के साथ संधि में संशोधन होने के बाद अब सिंगापुर के साथ भी इसी प्रकार की कर संधि की बात उठी है।
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जेटली ने कहा, मैं कोई समयसीमा नहीं दे रहा क्योंकि आपको याद होगा कि मारीशस संधि के लिए पहली बार बातचीत की प्रक्रिया 1996 में शुरू हुई थी और यह 2002 तक जारी रही। उसके बाद उस पर विराम लग गया। सिंगापुर 2005 में आया और अब जो प्रावधान मारीशस संधि में शामिल किया गया है, उसे वहां भी लगाया जाएगा। भारत में पिछले वर्ष अप्रैल-दिसंबर में कुल 29.4 अरब डॉलर का एफडीआई आया जिसमें मारीशस और सिंगापुर का योगदान 17 अरब डॉलर रहा। मंत्री ने कहा कि चूंकि दो संप्रभु देशों के बीच बातचीत होनी है, ऐसे में वह एकतरफा समय सीमा तय नहीं कर सकते।
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