नैरोबी। मंगलवार से शुरू हो रही वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूटीओ) की बैठक में भारत खाद्य सुरक्षा मुद्दे का स्थाई समाधान तलाशने पर जोर देगा। इसके साथ ही अचानक आयात बढ़ने पर गरीब किसानों की सुरक्षा के लिए प्रणाली विकसित करने के संबंध में जोरदार पहल करेगा। भारत को इस मुद्दे पर विकासशील देशों का समर्थन प्राप्त है। इस बैठक में 160 देशों के ट्रेड मिनिस्टर्स के भाग लेने की उम्मीद है। चार दिन चलने वाले इस सम्मेलन में भारत चाहता है कि यह बहुपक्षीय संस्था दोहा दौर की वार्ता में लंबित मुद्दों और बाली पैकेज के फैसलों पर भी विचार करें।
सार्वजनिक भंडारण का स्थाई समाधान ढूंढना जरूरी
एक अधिकारी ने कहा चर्चा के केंद्र में दोहा दौर की वार्ता का फैसला, खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक भंडारण का स्थाई समाधान ढूंढना और विशेष सुरक्षा उपायों से जुड़ी पहल का मुद्दा इसमें होगा। यह वार्ता 2001 में कतर की राजधानी में शुरू हुई थी। इसीलिए इसे दोहा दौर की वार्ता के तौर पर जाना जाता है। किसानों को सुरक्षा देने और औद्योगिक उत्पादों के लिए बाजार खोलने के मुद्दे पर भारी मतभेद के कारण वार्ता को अंतिम स्वरूप देने की समय सीमा आगे बढ़ती गई। भारत का कहना है कि सदस्यों ने दोहा दौर पर एक दशक से अधिक समय लगा दिया है इसलिये इसे ऐसे अधर में लटके नहीं रहने देना चाहिए।
विशेषग्यों को आशंका नहीं मानेंगे अमीर देश
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा मैं वहां खुले दिमाग और सकारात्मक रवैये के साथ जा रही हूं। यदि हर कोई बाली में हुए समझौते पर सहमत है तो हमारी जिम्मेदारी बनती है कि उस पर आगे कारवाई की जाए। खाद्य सुरक्षा मुद्दे का स्थायी समाधान बाली पैकेज का ही अंग है। विशेषग्य बैठक से सकारात्मक नतीजे निकलने के प्रति आशंकित हैं, क्योंकि अमीर देश पुराने मुद्दे छोड़कर सरकारी खरीद और निवेश जैसे नए मुद्दों पर वार्ता करने के इच्छुक हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर, विश्वजीत धर ने कहा हमें विशेष सुरक्षा प्रणाली समेत दोहा दौर की वार्ता पर अपने रख पर जमे रहने के लिए भारी दबाव का सामना करना पड़ेगा। लेकिन यह हमारे गरीब किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
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