नई दिल्ली। भारत और साइप्रस ने अपनी टैक्स संधि को संशोधित करने पर सहमति जताई है, जिसमें एक अप्रैल 2017 के बाद भारत में किए गए निवेश पर शेयरों की बिक्री पर पूंजीगत लाभ टैक्स लगाया जाएगा। इस प्रावधान के बाद साइप्रस भी निवेश पर टैक्स संबंधी नियमों के लिहाज से मॉरीशस के बराबर आ जाएगा। भारत और साइप्रस के बीच 29 जून को हुए समझौते के मुताबिक एक अप्रैल 2017 से पहले के निवेश को नए नियम से छूट होगी।
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वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, अस्थाई समझौते को मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा, जिसके बाद दोनों देश नई टैक्स संधि पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। दोनों देशों के बीच जिस नई दोहरे कराधान से बचाव की संधि (डीटीएए) पर समझौता हुआ है उसके तहत शेयरों के हस्तांतरण से हुए पूंजीगत लाभ पर स्रोत पर टैक्स लगेगा। बयान में कहा गया, एक अप्रैल 2017 से पहले किए गए निवेश को नए नियम से छूट देने का प्रावधान किया जाएगा, जिसके संबंध में पूंजी लाभ पर टैक्स उस देश में ही लगेगा, जिसका वह करदाता निवासी है।
दोहरे कराधान से बचाव और कर चोरी पर रोक पर वार्ता पूरी होने से साइप्रस को अधिसूचित क्षेत्राधिकार इलाकों की सूची से निकालने का रास्ता साफ होगा। यह काम नवंबर 2013 की पिछली तिथि से ही होगा। उक्त अधिसूचना के जरिए साइप्रस से आने वाले निवेश पर विदहोल्डिंग टैक्स और अन्य सख्त शर्तें लगाई गई थीं। बयान में कहा गया, सहमति बनी कि भारत एक नवंबर 2013 को जारी उक्त अधिसूचना रद्द करने पर विचार करेगा और इसके लिए प्रक्रिया शुरू करेगा।
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