नई दिल्ली। सड़क, रेलवे, बिजली और आवास जैसे बुनियादी ढांचे पर सरकार के खर्च से भारत अगले 10 साल में ग्लोबल स्तर पर स्टील खपत के मामले में शीर्ष देशों में शामिल होगा। सेल के चेयरमैन पी के सिंह ने कहा, सरकार जिस तरीके से बड़े पैमाने पर ढांचागत सुविधा को बढ़ा रही है, उसे अगर आप देखें तो मोटे अनुमान के आधार पर इस्पात की मांग में काफी वृद्धि होगी। भारत में 10 साल में खपत वैश्विक प्रति व्यक्ति उपभोग के बराबर होगी। वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार भारत दुनिया में इस्पात का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन प्रति व्यक्ति खपत 2014 में 59.4 किलो रही जबकि वैश्विक औसत 216.6 किलो है।
सेल प्रमुख ने कहा कि भारत उड़ान भरने की अवस्था में है और सभी जरूरी चीजें उपलब्ध हैं, केवल सरकार की तरफ से हल्की गति की जरूरत थी जो अब मिल रही है। सिंह ने कहा, सड़क क्षेत्र को देखिए, काफी राजमार्ग बन रहे हैं। इसका मतलब है कि अधिक इस्पात का इस्तेमाल होगा। इसी प्रकार, रेलवे बड़े पैमाने पर रेलवे ट्रैक बिछा रहा है और हमें वहां खर्च में उछाल की उम्मीद है। बिजली क्षेत्र में भी विस्तार हो रहा है, जिससे धातु की मांग बढ़ेगी।
प्रमुख पी के सिंह ने कहा कि सरकार की सबको आवास उपलब्ध कराने की योजना एक अलग पहल है, जिससे इस्पात की मांग को गति मिलेगी। वाहन क्षेत्र में भी वाणिज्यिक वाहनों के साथ यात्री कारों के लिए मांग बढ़ रही है, इससे भी इस्पात क्षेत्र को मजबूती मिलेगी। हालांकि उन्होंने वैश्विक स्तर पर खासकर चीन में बढ़ती अत्यधिक क्षमता को लेकर आगाह किया। उन्होंने कहा, हमें दुनिया और चीन में अत्यधिक क्षमता को लेकर सतर्क रहने की जरूरत हैं, कुछ देश भारत में अपने उत्पाद कम मूल्य पर भेज रहे हैं और इससे घरेलू उत्पादकों पर असर पड़ रहा है। उन्होंने 173 स्टील उत्पादों पर न्यूनतम आयात मूल्य (एमआईपी) लगाए जाने का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि सरकार इसे अगस्त के बाद भी जारी रखेगी। फिलहाल इसकी मियाद अगस्त में समाप्त हो रही है।
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